लालकृष्ण आडवाणी जिनकी ख्याति राम जन्मभूमि और रथ यात्रा से जुड़ी हुई है। जिन्होंने राम मंदिर के आंदोलन के लिए गोली खाना और जेल जाला स्वीकारा लेकिन झुकना नहीं सीखा अब 97 साल के हो रहे हैं। ये उन्हीं की सोच थी कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पीएम मोदी के हाथों संपन्न हो।
लालकृष्ण आडवाणी(उम्र 97 साल) का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची (अब पाकिस्तान) में हुआ। वे सिंधी हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते थे। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। आडवाणी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल में पूरी की। बाद में उन्होंने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की।
लालकृष्ण आडवाणी ने 14 वर्ष की आयु में 1941 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में प्रवेश किया। कराची शाखा के प्रचारक के रूप में, उन्होंने कई शाखाओं का विस्तार किया। विभाजन के बाद उन्हें राजस्थान के अलवर, भरतपुर, कोटा और झालावाड़ जिलों में प्रचारक के रूप में काम करने के लिए भेजा गया। यहां उन्होंने जातीय और सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में शांति और सद्भावना स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की। लालकृष्ण आडवाणी आरएसएस के माध्यम से इस संगठन में शामिल हुए। उन्होंने पार्टी में विभिन्न पदों पर कार्य किया और 1973 में जनसंघ के अध्यक्ष बने। इस दौरान उन्होंने पार्टी के वैचारिक आधार को मजबूत करने का काम किया।
1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान आडवाणी को गिरफ्तार किया गया। इस अवधि ने उनके राजनीतिक जीवन को और अधिक सशक्त बनाया। 1980 में जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठन किया गया, जिसमें आडवाणी ने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर पार्टी को खड़ा किया।
1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन के समर्थन में सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली। इस यात्रा ने न केवल भाजपा की राजनीतिक ताकत को बढ़ाया, बल्कि भारतीय राजनीति में हिंदुत्व की विचारधारा को प्रमुखता दी। यह यात्रा आडवाणी के राजनीतिक करियर का मील का पत्थर मानी जाती है।
लालकृष्ण आडवाणी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई बार लोकसभा और राज्यसभा का प्रतिनिधित्व किया। वे 1970 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए और इसके बाद छह कार्यकालों तक लोकसभा के सदस्य रहे।
लालकृष्ण आडवाणी के पिता का नाम के. डी. आडवाणी और माता का नाम ज्ञानी देवी था। उनकी पत्नी कमला आडवाणी थीं, जिनसे उनके दो बच्चे हैं—एक पुत्र और एक पुत्री। आडवाणी का पारिवारिक जीवन सादगी और मूल्यों से भरा रहा है।
लालकृष्ण आडवाणी का जीवन संघर्ष, वैचारिक प्रतिबद्धता और राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पण का उदाहरण है। उनकी नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक सूझबूझ ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी। वे न केवल भाजपा बल्कि भारतीय राजनीति के भी एक स्तंभ हैं।