SPORTS NEWS: 26 जुलाई को फ्रांस की राजधानी पेरिस में ओलंपिक 2024 की शुरुआत होगी, जिसमें 100 से अधिक भारतीय एथलीट दुनिया के सबसे बड़े खेल मंच के पोडियम पर पहुंचने के लिए अपना वर्चस्व दिखाएंगे। देशभर में पदक का नेतृत्व करने वाले भारतीय नामों की सूची में सबसे पहला नाम नीरज चोपड़ा का आता है।
खेल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। खेलों से हमारा शरीर और दिमाग का विकास काफी बड़े तौर पर होता है,इसलिए खेल जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खेल कई प्रकार के होते हैं, जो हमारे शारीरिक के साथ मानसिक विकास करने में भी मदद करते हैं।
आजकल लगातार पढ़ाई के कारण कई बार तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में खेल तनाव को दूर करने का बेहतर माध्यम है। हमारे देश में खेलों को उतनी प्राथमिकता नहीं मिलती, जितनी शिक्षा को दी जाती है। यदि बात करें हम देशभर में होने वाले ओलंपिक और पैराओलंपिक खेलों के बारे में तो इन खेलों का भी महत्वपूर्ण योगदान लोगों को तनाव से दूर करने में रहा है ।
क्या है ओलंपिक खेल
दरअसल, ओलंपिक खेल दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता है, जिसमें विश्वभर के आने वाले सर्वश्रेष्ठ एथलीट हिस्सा लेते हैं और अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। ओलंपिक खेलों का आयोजन हर चार साल पर किया जाता है।
ओलंपिक खेलों की इस समयावधि को ओलंपियाड कहते हैं। ओलंपिक खेलों की देखरेख का जिम्मा IOC यानी अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति को दिया गया है।
ओलंपिक खेलों की शुरूआत सबसे पहले साल 1896 में ग्रीस की राजधानी एथेंस में हुई थी,और तब से ही यह खेल हर चार साल पर आयोजित किया जाने लगा।
लेकिन प्रथम विश्वयुद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण ओलंपिक खेल 1916, 1940 और 1944 में आयोजित नहीं किया जा सका।
क्या है पैराओलंपिक खेल
पैरालम्पिक एक प्रकार का अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खेल है ,इस खेल मे विभिन्न प्रकार की विकलांगता से ग्रस्त व्यक्ति भी भाग लेने का अवसर दिया जाता है।
पैरालंपिक एक बड़े स्तर पर आयोजित होने वाला खेल है जिसमें 163 देशों के लगभग 400 से ज्यादा प्रतियोगी भाग लेते हैं ,वहीं 24 से ज्यादा खेलों को इसमें शामिल किया गया है।
आपको बता दें कि स्टोक मैंडविल गेम्स ही बाद में पैरालंपिक गेम्स बन गए। जिसका आयोजन पहली बार 1960 में रोम,व इटली में किया गया था। जिसमें 23 देशों के 400 एथलीटों ने भाग लेकर अपना प्रदर्शन दिखाया था, और तब से ही इन खेलों का आयोजन हर चार सालों में किया जाने लगा।
पैरालिम्पिक्स के इतिहास में पहली बार शीतकालीन खेल 1976 स्वीडन में आयोजित किये गये थे, और वहीं ग्रीष्मकालीन खेलों की तरह ही ये खेल भी हर चार साल में आयोजित किए जाने लगे। इन खेलों में पैरालिम्पिक्स उद्घाटन समारोह और पैरालिम्पिक्स समापन समारोह को शामिल किया गया हैं।
ओलंपिक-पैराओलंपिक खेलों में भारत का योगदान
पैरालाम्पिक्स खेलों का उद्घाटन 1948 में ब्रिटिश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से उभरा है ,जो आज 21वीं सदी के आरम्भ में सबसे बड़ी अन्तरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में से एक बन गया है।
देशभर में इन खेलों का आयोजन समानांतर में व्यवस्थित रूप से किया जाता है, जबकि आईओसी-मान्यता प्राप्त विशेष ओलम्पिक विश्व खेलों की सूची में बौद्धिक विकलांगता वाले एथलीटों को शामिल किया जाता है,और जबकि डेफ्लम्पिक्स में बहरे एथलीटों को शामिल किया जाता है।
यदि हम बात करें ओलंपिक-पैराओलंपिक खेलों की जहां इसकी शुरुआत करने का वर्चस्व भारतीय हॉकी टीम के पास रहा ।वहीं, इन खेलों ने व्यक्तिगत रुप से एथलीटों द्वारा देश के गौरव को बढ़ाने में पनी महत्वूर्ण भूमिका निभाई।
इन खेलों की शुरुआत साल 1960 में हुई और जब से ही इसके 11 संस्करण हो चुके हैं, जिसमे भारत ने 6 स्वर्ण, 10 रजत और 9 कांस्य सहित 25 पदक जीते हैं।
मुरलीकांत पेटकर
सबसे पहले 1965 के भारत-पाक युद्ध में अपना योगदान देने वाले अनुभवी मुरलीकांत पेटकर ने सबसे पहले पैरालंपिक में
पदक जीता था।
वहीं मुरलीकांत पेटकर ने साल 1972 के हीडलबर्ग खेलों में भी पुरुषों की 50 मीटर फ्रीस्टाइल 3 इवेंट में स्वर्ण पदक जीत अपने नाम कर ली।
इस भारतीय पैरा तैराक ने और अन्य पुरस्कारों को जीतने के लिए अपने 37.33 सेकेंड के साथ विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया।
नीरज चोपड़ा
भारत के प्रसिद्ध जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा लगातार दूसरी बार ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने का फैसला ले लिया है।
यदि इन खेलों में उन्होने जीत हासिल कर ली तो नीरज पहले ऐसे भारतीय एथलीट होंगे जो दो बार लगातार गोल्ड मेडल जीता हो।
नीरज चोपड़ा ने आखिरी बार 18 जून को फिनलैंड के तुर्कू में पावो नूरमी खेलों में हिस्सा लिया था,जहां उन्होनें 85.97 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ उन्होंने वहां स्वर्ण पदक जीता था।
This post is written by PRIYA TOMAR