{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से }
सनातन धर्म में कहा गया है कि 84 लाख योनि में भटकने का बाद मनुष्य को अपने अच्छे कर्मो से मनुष्य जन्म प्राप्त होता है। इनमे से कुछ लोग वो होते है जो मोक्ष पाने की कोशिश करते है और सफल हो जाते है।
जिन्हे मोक्ष मिल जाता है वो देव लोक में देवताओ के साथ बैठते है वही जिनको मोक्ष नहीं मिलता है उनका आवागमन ऐसे ही जारी रहता है।
समय समय पर पृथ्वी लोक की समस्या का समाधान करने के लिए और उसका संतुलन बनाये रखने के लिए समय समय पर देव पुरुष और महापुरुष पृथ्वी पर आते है।
ये अवतार यहां आकर मनुष्य के कष्ट का निवारण करते है क्यूंकि सत्य और असत्य का असंतुलन बनाये रखना बड़ा ज़रूरी हो जाता है।
पुण्य और पाप, धनी और निर्धन ये सब अपनी जगह है। लेकिन सालों से जो किसी में बुराई है उसे खत्म करना आसान नहीं है।
जैसे कोई सालों से चोरी कर रहा है तो आप उसे अचानक से अच्छा नहीं बना सकते। फर्क सोच का होता है। चोर बाज़ारी करने वाले गलत काम करते है और पकड़े जाते है।
लेकिन इसके बाद भी वो ऐसी हरकते करते है। क्यूंकि ये उनकी आदत बन चुका है ,इस आदत को बदलना आसान नहीं है। हर मनुष्य को अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि उसे मोक्ष मिले।