Ekadashi Vrat: हिन्दू पंचाग के अनुसार जुलाई का महीना बेहद खास एंव महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि इसी महीने मे देवशयनी एकादशी का भी आगमन हो चुका है। यह देवशयनी एकादशी बाकी एकादशी की तुलना में अधिक फलदायी है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को तीनों सनातन देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
एकादशी का महत्व
जिन्होंने आषाढ़ शुक्ल पक्ष में देवशयनी एकादशी के दिन कमल-पुष्प से कमल लोचन भगवान विष्णु का पूजन और एकादशी का उत्तम व्रत किया है,उन्हें तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन करने के समान फल प्राप्त होता है। आपको बता दें कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु राजा बलि के यहां निवास करते हैं।
वहीं दूसरी बार क्षीरसागर में शेषनाग की शय्या पर तब तक भगवान विष्णु शयन करते हैं,जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती। अतः आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को अच्छे से धर्म का आचरण करना चाहिए। जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है। ऐसे में विधि पूर्वक और सच्ची निष्ठा के साथ देवशयनी एकादशी का व्रत करना चाहिए।
चार महीने ब्रह्मचर्य का पालन कर पा सकते है परम गति
जो व्यक्ति इन चार महीनों में ब्रह्मचर्य का पालन करते है, वह परम गति को प्राप्त करते हैं। इस एकादशी के व्रत करने से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है, और मनुष्य को अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए यह व्रत करना चाहिए। कभी भी इस व्रत को भूलना नहीं चाहिए ।
‘शयनी’ और ‘बोधिनी’ के बीच में जो कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि आती है, वही गृहस्थों के लिए व्रत रखने योग्य है। अन्य महीनो की तुलना मे कृष्ण पक्ष एकादशी गृहस्थ के रखने योग्य नहीं होती,इसलिए शुक्ल पक्ष की यह एकादशी सभी गृहस्थजनों को रखनी चाहिए।
एकादशी व्रत कैसे करें
1.प्रातः काल उठकर सच्ची निष्ठा के भक्ति के साथ इस एकादशी का व्रत करना चाहिए।
2.इस दिन भगवान विष्णु का पंचामृत अभिषेक करना चाहिए,और फल एंव दूध-दही इत्यादि का भोग लगाना चाहिए। इस प्रकार मोक्ष प्रदान करने वाली इस एकादशी का पूर्ण पालन करते हुए व्रत करना चाहिए।
3.जो भक्त एकादशी के दिन दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन करते है व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं, वह मेरे लिए प्रिय हैं।
इस दिन घर के मंदिर को स्वच्छ करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएं। उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं और सुंदर फूलों से सजाएं।
4.इस व्रत में पूजा के लिए चंदन, तुलसी पत्र, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, पंचामृत, फल, और पीले फूलों का उपयोग करना चाहिए।
5.देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और धूप, दीप, चंदन, पुष्प आदि उन्हें अर्पित करें।
6.भगवान विष्णु को पंचामृत और फल का नैवेद्य अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।
7.इस दिन किसी भी प्रकार की हिंसा न करें।अधिक से अधिक भगवान के नाम का जप करें।
8. इस एकादशी को रात्रि जागरण के साथ व्रत को पूर्ण करें।
THIS POST IS WRITTEN BY PRIYA TOMAR PUBLISH AND EDITED BY ABHINAV TIWARI
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