बैक्टीरिया साल्मोनेला टायफी से यह बुखार होता है और इसे मोतीझारा भी कहा जाता है। टायफायड बैक्टीरिया व्यक्ति के रक्त और धमनियों में आ जाता है।
टाइफायड बुखार अधिकतर दूषित खाने व दूषित पानी से होता है, उनके शरीर में बहुत कमजोरी भी महसूस होती है।
टायफायड बुखार आमतौर पर 1 महीने तक होता है, लेकिन अधिक कमजोरी होने पर अधिक समय तक भी रह सकता है। इतना ही नहीं इससे शरीर में बहुत कमजोरी आ जाती है।
स्वामी रामदेव कहते है कि इससे लीवर को नुकसान होता है। भूख लगनी कम हो जाती है और बुखार लगातार बना रहता है। ये आंत्र ज्वर है, इससे लीवर को नुकसान होता है।
इसमें गिलोय घनवटी फायदा करती है , इसे दिन में 3 बार ले। सुदर्शन घनवटी भी लेनी चाहिए। ज्वरनाशक क्वाथ को रोज़ पीना चाहिये।
चार से पांच मुनक्का और आठ से दस अंजीर, एक से दो गर्म खूबकला पीस ले और दिन में दो तीन बार खाये। मुनक्का के बीज निकाल दे।
खाने में परहेज करे, दूध पीये, चीकू खाये, सेव खाये और मुंग की दाल का पानी पीये। गर्म पानी पीये। अधिक पानी पीने से शरीर का जहर पेशाब और पसीने के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है।