उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। यह सीट भाजपा के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राम मंदिर निर्माण के बावजूद यह सीट सपा के खाते में चली गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इस सीट की जिम्मेदारी लेते हुए मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों को इसे जीतने का टास्क दिया है।
मिल्कीपुर सीट पर विशेष रणनीति
बीते शाम मुख्यमंत्री आवास पर एक अहम बैठक आयोजित की गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बैठक की अध्यक्षता की और मिल्कीपुर उपचुनाव जीतने के लिए मंत्रियों को स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी मंत्रियों को बूथ स्तर पर तैयारी करनी होगी और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना होगा।
प्रत्याशी चयन और संगठन के कार्यों को समय पर पूरा करने का निर्देश दिया गया।
प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी CMs के साथ चर्चा
मुख्यमंत्री ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह, और उपमुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक के साथ एक घंटे तक रणनीति पर चर्चा की।
सीएम योगी ने कहा कि कानूनी अड़चने अब दूर हो चुकी हैं और केंद्रीय चुनाव आयोग कभी भी चुनाव की तारीख की घोषणा कर सकता है।
उन्होंने सभी नेताओं को चुनावी तैयारियों में जुटने और संगठनात्मक कार्य समय पर पूरे करने का निर्देश दिया।
मिल्कीपुर सीट क्यों है अहम?
अयोध्या संसदीय सीट पर हार के बाद भाजपा इस सीट को जीतकर उस हार की भरपाई करना चाहती है। राम मंदिर निर्माण के बावजूद सपा को मिली इस सीट ने भाजपा के लिए इसे प्रतिष्ठा का विषय बना दिया है। इस बार भाजपा के कार्यकर्ता और पदाधिकारी पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में जुटेंगे।
CM योगी का जीत का मंत्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि “मिल्कीपुर सीट पर हमारी जीत राम मंदिर आंदोलन और विकास कार्यों पर जनता के भरोसे को साबित करेगी।” उन्होंने मंत्रियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि संगठन से लेकर बूथ स्तर तक हर कार्यकर्ता इस चुनाव को मिशन मोड में लें।
मिल्कीपुर उपचुनाव भाजपा के लिए सिर्फ एक सीट नहीं बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा का सवाल है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बनाई गई इस रणनीति से भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है। अब देखना यह होगा कि क्या भाजपा इस बार सपा के गढ़ को भेदने में सफल होती है।