आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन भक्तजन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा करते हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं।आइए विस्तार से जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजाविधि, उनका प्रिय भोग, पूजा मंत्र और आरती।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी हिमालय और देवी मैना की पुत्री हैं, जिन्होंने नारद मुनि के कहने पर शिव जी की कठोर तपस्या की थी और इसके प्रभाव से उन्होंने शिवजी को पति के रूप में प्राप्त किया था।
इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है ब्रह्मचारिणी का रंग लाल है। यह जुनून और प्रेम का प्रतीक है। वहीं, उनकी पूजा के लिए चमेली के फूल का इस्तेमाल किया जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, भक्त नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी और भगवान शिव की पूजा करते हैं
नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी या माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से प्रेममयी दिव्य माँ का महत्वपूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है। माँ ब्रह्मचारिणी मंत्रों के माध्यम से ब्रह्मचारिणी देवी का आह्वान करना और शुद्ध भक्ति के साथ उनकी प्रार्थना करना निश्चित रूप से भरपूर लाभ प्रदान करता है।
कद्दू का भोग ,इसके अलावा, दूध, घी, गुड़ और पंचामृत भी अर्पित की जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कद्दू का भोग लगाने से बगोई माता प्रसन्न होती हैं।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
दधाना काभ्याम् क्षमा कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा
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