हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में देवताओं को अमृत प्रदान किया था। यह व्रत जीवन में चली आ रही समस्याओं, दरिद्रता और मानसिक अशांति को दूर करने वाला होता है।
मोहिनी एकादशी के दिन प्रातःकाल शंख में गंगाजल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। साथ ही “ॐ श्री विष्णवे नमः” मंत्र का 108 बार जप करें। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण में पवित्रता आती है।
भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। इस दिन तुलसी के पौधे की जड़ में चंदन व रोली अर्पित करें और “गोविंदाय नमः” का जाप करें। यह उपाय पारिवारिक कलह को समाप्त करता है और रिश्तों में मधुरता लाता है।
विष्णुजी को पीला रंग प्रिय है। अतः किसी गरीब या जरूरतमंद को पीले वस्त्र, हल्दी और गुड़ का दान करें। इससे जीवन से दरिद्रता का नाश होता है और आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
इस दिन लड्डू गोपाल को तुलसी और मिश्री का भोग अर्पित करें। उन्हें झूले में झुलाएं और “नंदनंदनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि” मंत्र का जाप करें। यह उपाय घर में प्रेम और सौहार्द बनाए रखता है।
यदि समय हो तो मोहिनी एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम या लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करें। यदि समय कम हो तो केवल 108 नामों का जप भी अत्यंत फलदायी होता है। यह उपाय आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
इस दिन एक समय मौन व्रत रखने का विशेष महत्व है। साथ ही तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं और “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का मन ही मन जाप करें। यह मन की शुद्धि और चित्त की शांति प्रदान करता है।
पीपल वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना गया है। संध्या के समय पीपल के नीचे 11 दीपक जलाएं और “ॐ विष्णवे नमः” का जाप करें। यह उपाय वंश वृद्धि और घर में समृद्धि लाने वाला होता है।
मोहिनी एकादशी पर पीला कमल या पीले रंग के पुष्प भगवान विष्णु को अर्पित करें। पीला कमल दुर्लभ होता है, और इसे अर्पित करने से लक्ष्मी कृपा, सौभाग्य और यश की प्राप्ति होती है।
यह व्रत न केवल धार्मिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का भी माध्यम है। नियमित व्रत, मंत्र जाप और उपायों के माध्यम से भक्त संकटों से मुक्ति, इच्छाओं की पूर्ति और प्रभु विष्णु की अनुकंपा प्राप्त कर सकते हैं।