केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) में आयोजित भारतीय संरक्षण सम्मेलन (ICCON 2025) का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन देशभर से जुड़े वन्यजीव संरक्षण से संबंधित सैकड़ों छात्रों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, वन अधिकारियों और संरक्षण विशेषज्ञों को एक साझा मंच पर लाने का प्रयास है।
उद्घाटन समारोह में भूपेंद्र यादव ने ICCON उपकरण अनुदान के तहत चयनित आठ विजेताओं को सम्मानित किया। यह अनुदान उन छात्रों और शोधकर्ताओं को दिया जाता है जिन्होंने संरक्षण तकनीकों और क्षेत्रीय अनुसंधान में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इस अवसर पर उन्होंने भारतीय वन्यजीव संस्थान की नई वेबसाइट भी लॉन्च की, जो संस्थान की गतिविधियों, शोध और संसाधनों को अधिक सुलभ और डिजिटल रूप में प्रस्तुत करती है।
मंत्री भूपेंद्र यादव ने देशभर के 438 संरक्षित क्षेत्रों की प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (Management Effectiveness Evaluation – MEE) रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट उन राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और अन्य संरक्षित क्षेत्रों की कार्यप्रणाली, संरक्षण प्रयासों और चुनौतियों का एक समग्र मूल्यांकन प्रस्तुत करती है।
भूपेंद्र यादव ने WII परिसर में विकसित हर्बेरियम गैलरी और “द टस्कर” नामक इनडोर जिम का भी उद्घाटन किया। हर्बेरियम गैलरी में वनस्पतियों के संरक्षण, वर्गीकरण और शोध हेतु सैकड़ों प्रजातियों को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित किया गया है, जिससे यह गैलरी न केवल शोधकर्ताओं बल्कि पर्यावरण शिक्षा में रुचि रखने वालों के लिए भी अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी। वहीं “द टस्कर” जिम संस्थान के कर्मचारियों, छात्रों और अधिकारियों के स्वास्थ्य व फिटनेस को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत आज वैश्विक स्तर पर जैव विविधता संरक्षण में एक नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस के गठन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पहल विश्व स्तर पर बाघ, शेर, चीता, तेंदुआ और अन्य बड़ी बिल्लियों के संरक्षण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसके साथ ही उन्होंने COP28 सम्मेलन में भारत की भूमिका की भी चर्चा की और बताया कि कैसे भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक संवाद में सक्रिय भागीदारी निभाई।
भूपेंद्र यादव ने यह भी कहा कि पर्यावरणीय जिम्मेदारी और आर्थिक विकास परस्पर विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने विकासशील देशों के लिए टिकाऊ विकास मॉडल प्रस्तुत करने में भारत की भूमिका की सराहना की।
ICCON 2025 के माध्यम से एक बार फिर यह संदेश गया कि भारत में संरक्षण केवल सरकार या वैज्ञानिक संस्थानों का विषय नहीं, बल्कि यह एक सामूहिक प्रयास है जिसमें छात्रों, समाज, नीति निर्माताओं और नागरिकों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। सम्मेलन ने जैव विविधता, संरक्षण तकनीकों और जलवायु परिवर्तन जैसे ज्वलंत विषयों पर देश को एक साझा मंच प्रदान किया है, जिससे भारत के ‘वन्यजीव संरक्षण नेतृत्व’ की भावना और मजबूत हुई है।