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ये जिंदा कैसे… सिर्फ डॉक्टर ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी चुनौती बना यह बच्चा

By: Amit ranjan 
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ये जिंदा कैसे… सिर्फ डॉक्टर ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी चुनौती बना यह बच्चा

नई दिल्ली : दुनिया से ऐसे कई हैरतअंगेज घटनाएं सामने आती रहती हैं, जो लोगों को हैरान ही नहीं बल्कि परेशान भी करता है। एक ऐसा ही मामला राजस्थान के कोटा की है। वहीं कोटा जो अक्सर बच्चों के सुसाइड या मौत की वजह से सुर्खियों में रहता है। दरअसल बच्चों की मौत को लेकर सुर्खियों में रहने वाला जेके लोन अस्पताल एक बार फिर चर्चा में बना हुआ है, लेकिन इस बार यह किसी बच्चे की मौत को लेकर नहीं, बल्कि एक दुर्लभ बच्चे को लेकर सुर्खियों में है। जिसे जिंदा देखकर सिर्फ डॉक्टर ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी हैरान है।

गौरतलब है कि यह बच्चा एक ऐसे बीमारी से पीड़ित है, जिसका जिक्र ना सिर्फ चिकित्सकों के बीच हो रहा है, बल्कि यह एक  रिसर्च बन गया है। अभी तक आपने खून का रंग लाल सुनते और देखते आए हैं, लेकिन इस बच्चे के खून का रंग सफेद है। रेयर डिजीज की वजह से डॉक्टर्स कह रहे हैं कि आखिर यह बच्चा जिंदा कैसे है।

आपको बता दें कि, कुछ दिनों पहले जेके लोन अस्पताल में एक बच्ची को इलाज के लिए लाया गया है, जो महज तीन महीने की है। माता-पिता ने उसका नाम हिना रखा हुआ है। जब इस बच्ची की बीमारी के बारे में डॉक्टरों को पता चला तो वह शॉक्ड थे। कई का तो कहना था कि हमने पूरी जिंदगी में ऐसा बच्चा क्या कोई इंसान नहीं देखा जिसका खून लाल की जगह सफेद हो। वहीं सीनियर डॉक्टरों का कहना है कि इस हॉस्पिटल में ऐसा यह पहला मामला देखने को मिला है।

डॉक्टर बोले-विदेश की लेना होगी मदद

एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.सुधीर का कहना है कि मेडिकल भाषा में इस बीमारी को डिसलिपेडेमिया विथ हीमोलाइटिक एनीमिया के नाम से जाना जाता है। करीब लाखों बच्चों में ऐसा मामला सामने आता है। हम इस दुलर्भ केस को अंतरराष्ट्रीय स्तर के जर्नल में प्रकाशित होने के लिए भेजेंगे। वहीं उनका कहना है कि इस बच्ची में  कोलेस्ट्राल और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा भी ज्यादा पाई गई है।

आखिर यह बच्चा जिंदा कैसे

वहीं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर डॉ. अशोक गुप्ता का कहना है कि बायोलॉजिकल साइंस की आम धारणा है कि इंसान के रक्त में लाल रक्त कणिकाओं के जरिए खून में ऑक्सीजन बहती है और यही किसी शख्स को जिंदा रखती हैं। लेकिन अगर किसी का खून सफेद होता है तो यह धारणा अलग हो जाती है। यह डॉक्टर समाज के लिए चुनौती है कि इसे कैसे निपटा जाए। जो बच्ची मिली है उसमें  ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्राल की ज्यादा मात्रा मिलने से जान को खतरा है। जेके लोन यूनिट में बच्ची का इलाज किया जा रहा है।

आपको बता दें कि अब ये बच्चा अब न सिर्फ डॉक्टरों बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी रिसर्च का विषय बन गया है। क्योंकि सवाल यह है कि क्या खून का रंग भी अलग हो सकता है। अगर हां, तो यह एक शोध का विषय है।

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