सुप्रीम कोर्ट ने बंधुआ मजदूरी और बाल मजदूरों की अंतर्राज्यीय तस्करी की गंभीर समस्या से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर इस समस्या को सुलझाने के लिए एक विशेष प्रस्ताव तैयार करें।
कोर्ट ने इस मामले को ‘गंभीर समस्या’ बताते हुए कहा कि बंधुआ मजदूरी और बाल मजदूरों की हालत सही करने के लिए केंद्र और राज्यों को एकसाथ मिल कर काम करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि बंधुआ मजदूरी से मुक्ति दिलाने के बाद उन लोग को आर्थिक सहायता देनी पड़ेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में हाल ही में रिहा किए गए 5,264 बंधुआ मजदूरों में से केवल 1,101 को ही वित्तीय सहायता मिल पाने को चिंताजनक बताया। अदालत ने यह भी कहा कि बच्चों को उनके राज्य से तस्करी कर अन्य राज्यों में बंधुआ मजदूरी में लगाना एक गंभीर अपराध है। कोर्ट ने बंधुआ मजदूरी के खिलाफ मजबूत उपाय की आवश्यकता पर जोर दिया और यह भी कहा कि रोजगार मंत्रालय को राज्यों के सचिवों के साथ बैठक करके इस समस्या को हल करने के लिए ठोस कदम उठाया होगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी इस प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बंधुआ मजदूरों की ट्रैकिंग के लिए डिजिटल समाधान का प्रस्ताव भी रखा। अदालत ने कहा कि लापता बच्चों के लिए बनाए गए पोर्टल की तरह ही बंधुआ मजदूरों के लिए भी एक पोर्टल होना चाहिए, जिससे उनके स्थितियों पर निगरानी रखी जा सके और उनकी सहायता सुनिश्चित की जा सके।
यह मामला उन व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से जुड़ा है, जो बंधुआ मजदूरी के शिकार होते हैं। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि बिहार से तस्करी कर उन्हें उत्तर प्रदेश के ईंट-भट्टों में बंधुआ मजदूरी करने के लिए मजबूर किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में छह हफ्ते बाद अगली सुनवाई तय की है, जब अदालत इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई पर विचार करेगी।
This Post is written by Shreyasi Gupta