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अपने जमाने मे सबसे खूबसूरत थी रामायण की ‘मंथरा’,लेकिन इस एक्टर के एक थप्पड़ ने उन्हें बदसूरत बना दिया,आंखे तक सिकुड़ गयी थी…

By: RNI Hindi Desk 
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अपने जमाने मे सबसे खूबसूरत थी रामायण की ‘मंथरा’,लेकिन इस एक्टर के एक थप्पड़ ने उन्हें बदसूरत बना दिया,आंखे तक सिकुड़ गयी थी…

रिपोर्ट: गीतांजली लोहनी

नई दिल्ली: टेलिविजन का मोस्ट पॉपुलर धारावाहिक सीरियल रामायण और महाभारत तो आप सभी को याद ही होगा। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान एक बार फिर इस धारावाहिक ने जोरदार पॉपुलैरिटी अपने नाम कर ली थी। और सीरियल के किरदारों ने भी खूब चर्चा बटोरी। इसी फेहरिश्त में आपको ‘रामायण’ की कुबड़ी दासी यानि मंथरा तो याद ही होगी, जो अक्सर कैकेयी के कान भरा करती थी। जी हां हम बात कर रहे है अभिनेत्री ललिता पवार की जिन्होंने रामायण इतना अच्छा रोल प्ले किया कि असल जिंदगी में भी लोग उन्हें मंथरा ही समझने लगे थे।

यूं तो अभिनेत्री ललिता पवार ने कई बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है। जहां उनकी एक्टिंग से ज्यादा उनकी खूबसूरती के चर्चे थे। अपने जमाने में ललिता सबसे ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस थीं। अभिनेत्री ललिता पवार ने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखें लेकिन उनकी जिंदगी में एक हादसा ऐसा हुआ जिसने उनकी खूबसूरती में दाग लगा दिया। इस हादसे के बाद ललिता पवार की पूरी जिंदगी ही बदल गई थी।

क्या आप जानते है कि ललिता पवार ने कभी भी फिल्मों में आने के बारे में नहीं सोचा था। लेकिन एक बार वो अपने पिता के साथ फिल्म की शूटिंग देखने गई थीं और वहां पर निर्देशक नाना साहेब की नजर ललिता पर पड़ी। नाना साहेब ने ललिता को फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ में बाल कलाकार का रोल दिया। महज 9 साल की उम्र में ही ललिता ने एक्टिंग करना शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया और उनकी पहली डायलॉग वाली फिल्म ‘हिम्मत-ए-मर्दा’ थी, जो साल 1935 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में वो काफी बोल्ड किरदार में दिखाई दी थीं।

अब आप समझ सकते है कि वो दौर में जब महिलाएं फिल्मों में काम करने से घबराती थीं, उस वक्त ललिता पवार ने अपने बोल्ड फोटोशूट और सीन्स से लोगों को हैरान कर दिया था। ललिता पवार अपने जमाने में बेहद ही खूबसूरत और बोल्ड एक्ट्रेसेज में गिनी जाती थीं। हर तरफ उनकी खूबसूरती के चर्चे होने लगे थे।

लेकिन इसके बाद ललिता की जिंदगी में जो हादसा हुआ उसने उनकी खूबसूरती में दाग लगा दिया। दरअसल, ललिता पवार साल 1942 में आई फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ का एक सीन शूट कर रही थीं। इस सीन में एक्टर भगवान दादा को ललिता को एक थप्पड़ मारना था। उनका थप्पड़ इतनी जोर से पड़ा कि वो नीचे गिर गईं। जमीन पर गिरी ललीता को जब डॉक्टर के पास ले जाया गया तो तो डॉक्टर की दी दवाई ने ललिता के शरीर में रिएक्शन कर दिया और उनके शरीर के पूरे दाहिने हिस्से में लकवा मार गया। जिससे उनकी दाहिनी आंख भी पूरी तरह सिकुड़ गई थी और उनकी सूरत हमेशा के लिए बिगड़ गई।

इतने बड़े हादसे के बाद भी ललिता पवार ने हार नहीं मानी और उन्होंने फिल्मों में दमदार वापसी की। अभिनेत्री फिल्मों में निगेटिव रोल निभाने लगीं। वो फिल्मों में लीड रोल करना चाहती थीं लेकिन इस हादसे के बाद उन्हें साइड रोल मिलने लगे। ललिता पवार को फिल्मों में दुष्ट सास के रोल मिलने लगे थे। लेकिन उन्होंने इन रोल में भी अपनी अलग पहचान बना ली थी। 1970 में आई फिल्म ‘सास भी कभी बहू थी’ में उनका एक डायलॉग था, ‘मेरी छाती पर आकर तो सांप भी रस्सी बन जाता है’ जो उस समय काफी मशहूर हुआ था। बताते चलें कि ललिता पवार ने अपने करियर में 700 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। ललिता अपने जमाने की सबसे दमदार और साहसी अभिनेत्री थी।

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