उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के साथ ही बारिश ने रफ्तार पकड़ ली है। हर साल की तरह इस बार भी भारी बारिश के कारण राज्य के कई इलाकों में भूस्खलन की आशंका बढ़ गई है। पहाड़ी इलाकों में होने वाले लैंडस्लाइड से सड़क मार्ग बाधित हो जाते हैं, जिससे आम लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इस बार लोक निर्माण विभाग (PWD) ने समय रहते तैयारियां पूरी कर ली हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से तेजी से निपटा जा सके।
PWD विभाग के सचिव पंकज पांडे ने जानकारी दी है कि विभाग ने राज्यभर में उन संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर ली है जहां हर साल लैंडस्लाइड की घटनाएं होती हैं। इन इलाकों में पहले से ही भारी मशीनें जैसे जेसीबी, पोकलैंड और डंपर आदि तैनात कर दिए गए हैं। इसके अलावा, विभाग ने BRO (बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन) और NHAI (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) से भी मशीनों की सूची मांगी है ताकि किसी भी स्थिति में त्वरित सहायता ली जा सके। मशीनों को ऐसे स्थानों पर भेजा गया है जहां सड़कों के बंद होने की संभावना अधिक रहती है।
पंकज पांडे ने आगे बताया कि कुछ ऐसे इलाके भी होते हैं जहां सामान्य रूप से लैंडस्लाइड नहीं होते, लेकिन अगर अप्रत्याशित रूप से वहां कोई आपदा आती है, तो नजदीकी कंट्रोल सेंटर से तुरंत मशीनों को मौके पर भेजा जाएगा। विभाग का उद्देश्य है कि राज्य के किसी भी हिस्से में यातायात लंबे समय तक बाधित न हो और रास्ते जल्द से जल्द खोले जा सकें। इस सक्रिय रणनीति से पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ-साथ राज्य में आने वाले यात्रियों और पर्यटकों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। सरकार का यह कदम आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक अहम पहल माना जा रहा है, जिससे मानसून के दौरान आम जनता को सुविधा और सुरक्षा दोनों मिल सकेगी।