लॉकडाउन की वजह से मधुमक्खी पालन का कार्य भी अब घाटे का सौदा साबित हो रहा है। सरसों के शहद का बाहर निर्यात न होने की वजह से मधुमक्खी पालकों को काफी घाटा सहन करना पड़ रहा है।
मधुमक्खी पालकों का कहना है कि लॉकडाउन से पहले जहां उनका कच्चा शहद 90 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा था अब लॉक डाउन के कारण वही शहद 60 रुपये किलो पर आ गया है।
60 रुपये किलो के भाव से खरीदने वाला भी कोई ग्राहक मधुमक्खी पालकों को नहीं मिल रहा है। जनपद सहारनपुर के मधुमक्खी पालकों का कहना है कि इस समय उनके मधुमक्खी के डब्बे अलीगढ़ जिले में होने चाहिए थे क्योंकि वहाँ पर बाजरे की फसल चालू है।
लेकिन लॉक डाउन की वजह से उन्हें अपने डब्बो को अपने जनपद में ही लाना पड़ा है।मधुमक्खी पालकों का कहना है कि यहां पर इस समय कोई भी फसल तैयार नहीं है .
ना ही किसी फसल पर कोई फूल है जिसके कारण मधुमक्खियों का पालन पोषण उन्हें अपनी जेब से ही करना पड़ रहा है।
मधुमक्खी पालकों का कहना है की लॉक डाउन ने उनके इस व्यवसाय को चौपट कर दिया है। इस व्यवसाय की वजह से वह काफी घाटे में चले गए हैं।