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गेहूं, दाल और तिलहन की बुआई में बढ़ोतरी, लेकिन फरवरी में बढ़ती गर्मी से किसानों की बढ़ी चिंता

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस साल 4 फरवरी 2025 तक देश में गेहूं की बुआई 324.38 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है। पिछले वर्ष इसी समय तक गेहूं की बुआई 318.33 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जिसका मतलब है कि इस साल गेहूं के रकबे में 6.05 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।

By: Rekha 
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गेहूं, दाल और तिलहन की बुआई में बढ़ोतरी, लेकिन फरवरी में बढ़ती गर्मी से किसानों की बढ़ी चिंता

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस साल 4 फरवरी 2025 तक देश में गेहूं की बुआई 324.38 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है। पिछले वर्ष इसी समय तक गेहूं की बुआई 318.33 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जिसका मतलब है कि इस साल गेहूं के रकबे में 6.05 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। गेहूं के प्रति किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है, लेकिन मौसम विभाग ने फरवरी माह में सामान्य से अधिक तापमान की चेतावनी दी है।

यदि फरवरी में तापमान बढ़ता है, तो इससे गेहूं सहित अन्य फसलों को नुकसान हो सकता है, जैसा कि वर्ष 2022 में हुआ था। अत्यधिक गर्मी से गेहूं की अच्छी बुआई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिससे किसानों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।

1. दलहन की बुआई में वृद्धि, चने की बुआई में कमी

रबी सीजन में दलहन की फसल भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस वर्ष दलहन की बुआई का कुल रकबा 140.89 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले वर्ष के 137.80 लाख हेक्टेयर से 3.09 लाख हेक्टेयर अधिक है। इसमें चना, मसूर, मटर और उड़द प्रमुख हैं। हालांकि, चने की बुआई में 2.44 लाख हेक्टेयर की कमी आई है, जो एक चिंता का विषय है।

2. रबी धान की खेती में बढ़ोतरी, लेकिन सरसों की बुआई में गिरावट

रबी सीजन में धान की खेती में भी बढ़ोतरी देखी गई है। इस बार 42.54 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की गई है, जो पिछले वर्ष के 40.59 लाख हेक्टेयर से अधिक है। रबी धान की खेती मुख्य रूप से दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में होती है। इसके अलावा, श्री अन्न यानी मोटे अनाजों की खेती इस साल 55.25 लाख हेक्टेयर में की गई है, जिसमें ज्वार, मक्का और जौ शामिल हैं।

हालांकि, तिलहन फसलों में सरसों की बुआई में गिरावट आई है। इस साल सरसों की बुआई 89.30 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल यह 91.83 लाख हेक्टेयर थी। यह गिरावट नवंबर में सरसों की बुआई के कारण आई, क्योंकि धान की कटाई देरी से हुई थी।

3. किसानों के लिए जरूरी सलाह

किसानों को मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार अपनी फसलों के लिए उचित उपायों को अपनाना होगा। यदि फरवरी में तापमान सामान्य से अधिक होता है, तो इससे फसलें प्रभावित हो सकती हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए समय रहते एहतियाती कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि फसल का नुकसान कम से कम हो सके।

इस समय कृषि विभाग और किसानों को मौसम की स्थिति का नियमित रूप से विश्लेषण कर कार्य करने की सलाह दी जाती है।

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