पंजाब की पावन और उर्वरा धरती को मैं बारंबार नमन करता हूं। यह भूमि न केवल कृषि के क्षेत्र में समृद्ध है, बल्कि यहां के मेहनती किसान अपने परिश्रम और समर्पण से पूरे देश का अन्न भंडार भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन किसानों की मेहनत, संकल्प और निष्ठा देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
जब हम केवल मंच से भाषण देते हैं, तो संवाद एकतरफा होता है। लेकिन जब हम गांव की चौपाल में बैठते हैं, किसानों के बीच समय बिताते हैं, तब हमें उनकी ज़मीनी हकीकत, समस्याएं और नवाचारों की जानकारी मिलती है। किसान अपने अनुभव साझा करते हैं और जो नए प्रयोग वे कर रहे होते हैं, वे भी सामने आते हैं। आज पंजाब की धरती पर भी ऐसा ही अनुभव हुआ।
मैं यहां एक ऐसे खेत में खड़ा हूं जहां धान की डायरेक्ट सीडिंग हो रही है — यानी पारंपरिक तरीके से पहले नर्सरी लगाना, फिर उसमें से पौध निकालकर खेत में रोपना और फिर लगातार पानी देना — ये सारी प्रक्रियाएं यहां नहीं अपनाई जा रहीं। इसके बजाय किसान सीधे खेत में बीज बो रहे हैं, ट्रैक्टर की सहायता से। इस तकनीक से पानी की बचत, मजदूरी में कमी, उत्पादन लागत में घटाव और फिर भी उत्पादन में कोई कमी नहीं — ये चारों लाभ प्राप्त हो रहे हैं।
मैं आज वैज्ञानिकों की टीम के साथ आया हूं, क्योंकि हम विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत पूरे देश में किसानों के हित में कार्य कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य केवल समस्याएं सुनना नहीं, बल्कि उन्हें सुलझाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर प्रयास करना है। साथ ही, जो किसान नवाचार कर रहे हैं, उनके अनुभवों को पूरे देश में साझा करना भी हमारा लक्ष्य है।
मैं आज आपके माध्यम से देश के हर किसान भाई-बहन से आग्रह करता हूं कि पंजाब के किसानों की यह डायरेक्ट सीडिंग तकनीक को देखें, समझें और अपनाएं। यह तरीका पर्यावरण की रक्षा, जल संरक्षण, और कृषि में आर्थिक लाभ तीनों ही क्षेत्रों में लाभकारी है। आइए, मिलकर ऐसी तकनीकों को अपनाएं और देश की कृषि को आगे बढ़ाएं — टिकाऊ, समृद्ध और सशक्त बनाएं।