किसान सावधान! धान की फसल कटाई के लिए लगभग तैयार है लेकिन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के वैज्ञानिकों ने धान किसानों को सतर्क कर दिया है।
इस मौसम में धान में तुषार रोग होने की संभावना रहती है। यह एक जीवाणु रोग है, जिसका प्रकोप पूरे खेत में एक साथ शुरू नहीं होता है, जिससे इसकी पहचान करना और इलाज शुरू करना मुश्किल हो जाता है।
यदि पत्तियों, फूलों, फलों, तनों या पूरे पौधे का अचानक और गंभीर पीलापन, भूरापन, धब्बेदार, मुरझाना या मरना हो तो 15 दिनों के अंतराल पर 150 लीटर पानी में 1.25 किग्रा प्रति हेक्टेयर कैम्फर हाइड्रॉक्साइड का छिड़काव करें।
बासमती चावल सलाह:
इस मौसम में बासमती की फसल में मिथ्या कंड कवक जनित रोग की संभावना काफी अधिक होती है । इस रोग के कारण धान के दाने आकार में फूल जाते हैं। इसके उपचार के लिए ब्लाइटोक्स 50 की 500 ग्राम प्रति एकड़ पानी में मिलाकर छिड़काव करें और 10 दिनों के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें।
बाजरा, मक्का के लिए सलाह:
अभी बाजरा , मक्का , सोयाबीन और सब्जियों के लिए सबसे जरूरी है खरपतवारों को दूर रखना। सभी दलहनी फसलों, मक्का और सब्जियों में जल निकासी की उचित व्यवस्था रखें।
सब्जी की खेती के लिए सलाह:
जिन किसानों के टमाटर, हरी मिर्च, बैगन और फूलगोभी के पौधे तैयार हैं, उन्हें मौसम को ध्यान में रखते हुए उचित जल निकासी के साथ उथले क्यारियों पर लगाया जाना चाहिए।
फसलें जो अभी बोई जा सकती हैं:
किसान इस मौसम में स्वीट कॉर्न (माधुरी, विन ऑरेंज) और बेबी कॉर्न (HM-4) बो सकते हैं। जल निकासी की समुचित व्यवस्था करें। सरसों की अगेती बुवाई के लिए पूसा सरसों-28, पूसा तारक आदि के बीजों की व्यवस्था कर खेत की तैयारी करें।
इस मौसम में किसान उच्च मेड़ पर मूली, पालक, आदि फसलें बो सकते हैं। प्रमाणित या उन्नत बीज से ही बुवाई करें।
इस मौसम में किसान मेढ़ों पर गाजर की बुआई कर सकते हैं। बीज दर 4.0 किग्रा प्रति एकड़ होगी। बिजाई से पहले 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज का उपचार करें । खेत में देशी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें।