नई दिल्ली: बिल पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अंदर हाई कोर्ट की बेंच की डिमांड एक लॉन्ग पेंडिंग डिमांड है और दशकों पुरानी डिमांड है। वह डिमांड पूरी होनी चाहिए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का आदमी, सहारनपुर से 800 किलोमीटर चल कर हाई कोर्ट से न्याय लेने के लिए इलाहाबाद जाता है। मेरी सरकार से यह मांग है, मैं जानता हूं कि यहां जितने लोग चर्चा कर रहे हैं, सरकार इतनी कमजोर भी नहीं है, क्योंकि हम लोग बैठे हैं तो कह रहे हैं कि साहब सुप्रीम कोर्ट सुनता नहीं है। मुझे मालूम है कि जब सरकार की विल होती है तो सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के कई फ़ैसले को या तो वह लागू नहीं करती या कॉलेजियम पर दबाव बनाती है कि फलां जज को आप रिकमंड करेंगे तो हम कोई भी सिफ़ारिश नहीं मानेंगे। पूरा देश जानता है कि जस्टिस कुरैशी जो हाई कोर्ट की लिस्ट में सीनियर मोस्ट थे, जिनको सुप्रीम कोर्ट जाना था, लेकिन कॉलेजियम के ऊपर सरकार का दबाव था कि अगर उनका नाम शामिल करके आपने भेजा तो हम एक भी नाम पास नहीं करेंगे।
कॉलेजियम ने पिछले डेढ़ साल तक सिफ़ारिश नहीं की। डेढ़ साल तक कोलेजियम की रिक्मेंडेशन नहीं होने दी गई।
कुंवर दानिश अली ने कहा कि देश में न्याय की क्या स्थिति है? 50 लाख से ज्यादा केसेज़ हाई कोर्ट्स में पेंडिंग हैं और चार करोड़ से ज्यादा केसेज़ लोअर कोर्ट्स में पेंडिंग हैं। इसमें बड़ी संख्या इस देश के गरीब समाज की है। जो दलित है, पिछड़ा है, अकलियत है, आदिवासी है, उनके केसेज़ पेंडिंग हैं।
दानिश अली ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में यह देखने को मिला है के जो रिप्रेजेंटेशन एससी, एसटी, ओबीसी, माइनोरिटीज़ का होना चाहिए, मैंने अभी एक एग्ज़ाम्पल दिया कि सरकार को जहां चाहिए होता है, वहां सरकार दबाव बना लेती है। लेकिन जब एससी, एसटी, ओबीसी, माइनोरिटीज़ के रिप्रेज़ेंटेशन की बात आती है तो सरकार दबाव नहीं बनाती है। सरकार कई-कई महीनों तक, साल-साल भर तक फाइल पेंडिंग रख कर उस पर बैठ जाती है, उसको क्लियर नहीं करती है। मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ के ऑनरेबल कोर्ट्स आजकल जो हैं, आप देख रहे हैं, हम देख रहे हैं कि जो इम्पॉटेंट केसेज़ होते हैं, यूएपीए में जो लोग बंद हैं, जो दूसरे केसेज़ हैं, जो कंस्टिट्यूशन बेंच के पास हैं, सरकार की विल होती है, सरकार अगर चाह लेती है कि इस इश्यू को अभी नहीं टेक-अप करना है तो ऑनरेबल सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग चला जाता है, दो सालों से तो कोर्ट्स बंद पड़े हैं। सर, मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि कोर्ट्स बंद नहीं पड़े हैं। पिनाकी जी कहेंगे कि लॉयर्स जो हैं, कई बार हमने क्लिपिंग्स भी देखी हैं कि बड़े लॉयर्स किस तरीके से, किस हालत में बैठ कर ऑनलाइन हियरिंग में शामिल रहते हैं।
गरीब को हायर ज्यूडिशरी में न्याय नहीं मिल रहा है, क्योंकि जो रिप्रेज़ेंट करने वाले लोग हायर ज्यूडिशरी में हैं, जो एडवोकेट्स हैं, उनकी फीस इतनी ज्यादा होती है कि गरीब आदमी उसको अफोर्ड नहीं कर पाता है। मैं इसी बात के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ क हाई कोर्ट की बेंच पश्चिम उत्तर प्रदेश में, मुरादाबाद मंडल में, मेरे यहां गढ़मुक्तेश्वर है, ब्रज घाट इतना बड़ा तीर्थ स्थल बन रहा है, कम से कम आप वहीं दे दीजिए माननीय लॉ मिनिस्टर साहब, आपकी सरकार उत्तर प्रदेश में भी है, केंद्र में भी है और आप अगर चाहें तो यह कर सकते हैं।