दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए प्रचार अभियान थम चुका है। 5 फरवरी को मतदान होगा और इसके बाद 8 फरवरी को नतीजे आएंगे। इस बार चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। भाजपा अपने संगठन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जता रही है, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) मुफ्त योजनाओं और अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता के सहारे मैदान में है। वहीं, कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए पूरी ताकत से चुनावी अखाड़े में उतर चुकी है।
भाजपा का दमदार चुनाव प्रचार
भाजपा ने इस चुनाव में संगठन की पूरी ताकत झोंक दी है। प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के मुताबिक, भाजपा ने 10,000 से अधिक बैठकें और 650 जनसभाएं की हैं। प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री और बड़े नेता प्रचार में जुटे रहे। सहयोगी दलों में चंद्रबाबू नायडू, जदयू और लोजपा (रामविलास) के नेताओं ने भी भाजपा को मजबूती देने की कोशिश की।
RSS और विहिप ने निभाई अहम भूमिका
भाजपा के प्रचार में इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भी अहम भूमिका निभाई है। संघ के कार्यकर्ताओं ने बूथ स्तर पर प्रचार की कमान संभाली और घर-घर जाकर भाजपा की नीतियों का प्रचार किया। विहिप, बजरंग दल और सेवा भारती के कार्यकर्ता भी प्रचार अभियान में सक्रिय रहे। यदि भाजपा को जीत मिलती है तो इसका बड़ा श्रेय संगठन और स्वयंसेवकों को जाएगा।
AAP की ताकत – मुफ्त योजनाएं और जनसंपर्क
अरविंद केजरीवाल का पूरा चुनावी अभियान मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाओं के इर्द-गिर्द रहा। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी को 55 से 60 सीटें मिल सकती हैं, खासतौर पर महिलाओं के समर्थन से। केजरीवाल का कहना है कि यदि भाजपा सत्ता में आई तो उनकी योजनाओं को बंद कर सकती है।
भाजपा का गेम चेंजर – बड़े चुनावी वादे
भाजपा ने हर वर्ग को साधने के लिए बड़े चुनावी वादे किए हैं। इनमें झुग्गीवासियों के लिए पक्के मकान, महिलाओं को 2500 रुपये मासिक भत्ता, युवाओं के लिए 50 हजार सरकारी नौकरियां और 20 लाख स्वरोजगार के अवसर शामिल हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार के बजट में 12 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट देने से दिल्ली के 40 लाख से अधिक मतदाता प्रभावित हो सकते हैं। भाजपा को उम्मीद है कि यह चुनावी रणनीति AAP को कड़ी टक्कर देगी।
कांग्रेस की वापसी की कोशिश
कांग्रेस इस चुनाव में वापसी की कोशिश कर रही है। अंतिम समय में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली, जिससे कांग्रेस को नई ऊर्जा मिली है। ओखला, सीमापुरी, समयपुर बादली, सीलमपुर और चांदनी चौक जैसी सीटों पर कांग्रेस मजबूत दिख रही है। यदि कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है, तो दिल्ली की राजनीति में उसकी स्थिति मजबूत हो सकती है।
क्या दिल्ली की जनता इस बार बदलाव चाहती है?
दिल्ली के इस चुनाव में भाजपा का संगठन, AAP की मुफ्त योजनाएं और कांग्रेस की वापसी की कोशिशें आमने-सामने हैं। भाजपा जहां एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर के सहारे AAP को घेर रही है, वहीं केजरीवाल अपने विकास मॉडल और लोकलुभावन योजनाओं को आगे रखकर जनता से समर्थन मांग रहे हैं। कांग्रेस भी नए जोश के साथ चुनावी मैदान में उतरी है।
अब देखना यह होगा कि दिल्ली की जनता इस बार किसे अपना समर्थन देती है – क्या भाजपा का संगठन और मोदी का करिश्मा चलेगा, या फिर केजरीवाल की मुफ्त योजनाएं फिर से रंग लाएंगी? या कांग्रेस अपनी खोई हुई साख को फिर से हासिल कर पाएगी? इसका फैसला 5 फरवरी को मतदान के बाद 8 फरवरी को नतीजों के रूप में सामने आएगा।