21 दिनों के लॉकडाउन का असर सिर्फ आम जनता पर ही नहीं बल्कि देश के किसानों पर भी हो रहा है। एक तरफ देश में कोरोना का संकट बढ़ता जा रहा है वही दूसरी और करोड़ो ऐसे किसानों की आजीविका पर संकट आ गया है। दरअसल लॉकडाउन के चलते मध्यप्रदेश
21 दिनों के लॉकडाउन का असर सिर्फ आम जनता पर ही नहीं बल्कि देश के किसानों पर भी हो रहा है। एक तरफ देश में कोरोना का संकट बढ़ता जा रहा है वही दूसरी और करोड़ो ऐसे किसानों की आजीविका पर संकट आ गया है। दरअसल लॉकडाउन के चलते मध्यप्रदेश
फिलहाल देश में इक्कीस दिन का लॉकडाउन है और ऐसे में किसान भाई अपने खेतों को अधिक समय नहीं दे पा रहे है लेकिन गर्मियों में सीजन में ऐसी कई सब्जियां है जो किसान भाइयों को अच्छा मुनाफा दे सकती है। तो आइये जानते है कुछ ऐसी सब्जियों के बारे
21 दिनों के लॉकडाउन का असर सिर्फ आम जनता पर ही नहीं बल्कि देश के किसानों पर भी हो रहा है। देश के किसानों जो दूध बेच रहे है उनके सामने अब यह समस्या आ गयी है की वो इतने दूध का क्या करे क्यूंकि लॉकडाउन के कारण सभी चाय
एक तरफ देश में कोरोना के संकट को लेकर लॉकडाउन है वही देश के किसानों को भी कठिन हालातों का सामना करना पड़ रहा है। खेत में पड़ी सब्जी और फूलों की फसल बेकार हो रही है ऐसे में मराठवाड़ा के एक किसान की दरियादिली लोगों के बीच चर्चा का
एक तरफ देश में कोरोना का संकट बढ़ता जा रहा है वही दूसरी और करोड़ो ऐसे किसानों की आजीविका पर संकट आ गया है जो मुर्गी पालन और दूसरे जानवरों के पालन में लगे हुए है। दरअसल कोरोना वायरस के खतरे के बाद लोगों ने मांस खाना बंद कर दिया
इस वक़्त देश में कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन है और लगभग सभी कार्य ठप पड़े है और अब ऐसे में मोदी सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है। दरअसल पिछले लेख में हमने आपको बताया था की कैसे सब्जी और फूल उत्पादक किसानों को लाखों का नुकसान हो
कोरोना का संकट इस देश के ऊपर ऐसा आया है की इसने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी है। सिर्फ सरकार को ही नहीं बल्कि इस देश के किसानों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। दरअसल फरवरी में सरसों की कटाई के बाद और मार्च में गेंहू
इस वक़्त देश एक गंभीर संकट से गुजर रहा है, दरअसल चीन से निकले एक वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही का मंजर ला दिया है और ऐसे में देश में इक्कीस दिन का लॉकडाउन है। वैसे ये वक़्त कई फसलों और ख़ास तौर से सब्जियों की बुआई का है
बेरोजगार युवकों के लिए वरदान बन रहा है मुर्गी पालन व्यवसाय। अगर कोई किसान इसे रोजगार के रूप में अपनाता है तो इससे न केवल अच्छी कमाई कर सकता है बल्कि कुपोषण से मुक्ति पाने में भी अपना योगदान दे सकता है। मुर्गी पालन करने वाले किसान मुर्गियों की विभिन्न प्रजातियों का चुनाव कर सकता है। जैसे
सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली कई साइटों में यह दावा किया गया है कि सात वर्षों के रिसर्च के बाद गेहूं की नई किस्म को पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फ्रूट बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट या नाभा ने विकसित किया है। नाभा के पास इसका पेटेंट भी है। इस गेहूं
देश में खेती के लायक ज़मीन घटती जा रही है, और ऊपर से किसानों की दिक्कत ये है कि उनकी बहुत सारी ज़मीन ऊसर है, उसपर खेती करना मुश्किल है। दुनिया के कई दूसरे देशों में भूमि सुधार के लिए उन्नत तकनीक अपनाई जा रही है। हमारे देश में भी
जिरेनियम के तेल का इस्तेमाल एरोमा थेरेपी, सौंदर्य प्रसाधन, मेडिसनल में होता है। जिरेनियम के पौधे से निकलने वाला तेल काफी कीमती होता है। भारत में इसकी औसत कीमत करीब 20 हजार रुपए प्रति लीटर है। 4 महीने की इस फसल से प्रति एकड़ डेढ़ सो दो लाख रुपये का
संग्रामपुर (मोतिहारी) के यतीन्द्र कश्यप हेचरी और मछली पालन से साल में 80 से 90 लाख रुपए की इनकम कर एरिया किसानों और बेरोजगारों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं. इससे वे अच्छी आय कर रहे हैं. शुरू में तो उन्हें भी जानकारी के आभाव में काफी मुश्किलों का
अक्सर आपने देखा होगा तालाब में या जहां भी पानी की उपलब्धता है, वहां आपको बत्तखों का झुंड मिल जाएगा। दरअसल बत्तखपालन के लिए तालाब का होना ज़रूरी नहीं है लेकिन अगर मछली पालन के साथ बत्तखपालन किया जाए तो दोनों में एक दूसरे से सहयोग मिल जाता है, और
ग्लेडियस फूल की खेती थोड़ी सी तकनीकी जानकारी होने पर छोटे किसान भी कर सकते हैं। इसकी बुवाई के लिए किसान को अच्छी उर्वरक शक्ति वाली बारीक जमीन तैयार करनी होती है। ग्लेडियस के फूल के लिए बल्ब की बुवाई की जाती है। इसका सबसे बढ़िया साइज़ 6 से 8