ग्लेडियस फूल की खेती थोड़ी सी तकनीकी जानकारी होने पर छोटे किसान भी कर सकते हैं। इसकी बुवाई के लिए किसान को अच्छी उर्वरक शक्ति वाली बारीक जमीन तैयार करनी होती है। ग्लेडियस के फूल के लिए बल्ब की बुवाई की जाती है। इसका सबसे बढ़िया साइज़ 6 से 8 एम् एम् का माना जाता है। इस बल्ब को इम्पोर्ट भी किया जाता है।
ग्लेडियस की बुवाई के समय रेजिंग से रेजिंग की दूरी 30 सेंटीमीटर तथा बल्ब से बल्ब की दूरी 10 सेंटीमीटर की रखनी चाहिए। एक एकड़ में लगभग 60 हजार बल्ब लगाए जाते हैं।
सबसे महत्त्वपूर्ण होता है की इन बल्बों को फंगीसाइड से ट्रीट करके रखना चाहिए। एम् 45 , बावस्टीन जैसी दवाई इसको फंगीसाइड से बचाने में कारगार रहती है।
शुरुवाती 20 दिनों की फसल में नलाई के साथ मिटटी चढ़ाई जाती है जिससे ग्लेडियस की स्टिक को सहारा मिल सके। इसके बाद पानी के साथ ही फर्टिलाइजर भी इसमें दिया जाता है।
ग्लेडियस की खेती के साथ आप दूसरी कोई फसल नहीं बो सकते। खरपतवार नाशक के लिए पेन्डामेथिलीन नामक दवा काफी कारगर साबित हुई है।
ग्लेडियस फूल में केटर पिलर और फंगस के चांस ज्यादा रहते हैं। अगर आपने इसको पहले ही ट्रीट नहीं किया है तो दो से तीन स्प्रे आपको इनसे बचाव के लिए करने पड़ेंगे।
ग्लेडियस का एक बल्ब लगभग 3 रूपये की लागत में मिलता है। एक एकड़ में अगर इसकी बुवाई की जाए तो किसान की कम्प्लीट लागत पहले साल में लगभग 2 लाख रूपये आती है। और 90 दिनों के बाद ये फसल लग़भग 3 लाख रूपये में बिकती है।
अगली बुवाई के लिए इसी का बल्ब सुरक्षित रखा जाता है जिससे अगले साल लागत सिर्फ 20 हजार के आसपास आती है और कमाई वही 3 लाख तक आसानी से पहुंच जाती है। ग्लेडियस की खेती से एवरेज अगर निकाली जाये तो डेढ़ लाख रूपये हर साल किसान को सिर्फ 90 दिन की फसल में मिल सकते हैं।