बेरोजगार युवकों के लिए वरदान बन रहा है मुर्गी पालन व्यवसाय। अगर कोई किसान इसे रोजगार के रूप में अपनाता है तो इससे न केवल अच्छी कमाई कर सकता है बल्कि कुपोषण से मुक्ति पाने में भी अपना योगदान दे सकता है।
मुर्गी पालन करने वाले किसान मुर्गियों की विभिन्न प्रजातियों का चुनाव कर सकता है। जैसे अंडे देने वाली प्रजातियों में कैरी प्रिया नामक प्रजाति सफेद रंग अंडे देती है , कैरी सोनाली नामक प्रजाति भूरे रंग अंडे देती है , तथा केरी देवेंद्र नामक प्रजाति मॉस और अण्डों दोनों को पाने के लिए पाली जाती हैं।
मांस के लिए पाली जानी वाली मुर्गियों में कैरी धनराजा , कैरी विशाल , कैरी ट्रॉपिकाना और कैरी मृतुंजय नामक प्रजाति प्रमुख हैं। किसान मुर्गी पालन के अलावा बत्तख पालन में भी लाभ कमा सकते हैं। बत्तखें भी मॉस और अण्डों के लिए पाली जाती हैं।
बत्तखों से प्रतिवर्ष 240 से 260 अंडे आसानी से प्राप्त किये जा सकते हैं। असील पीला, असील कागर, कड़कनाथ, अंकलेश्वर, आदि देशी प्रजातियां भी व्यवसाय के लिए बेहतर मानी जाती हैं। अपने देश में ज्यादातर समय गर्मियों के मौसम का होता है। खासतौर से मार्च से सितंबर तक के समय में मुर्गियों में बहुत सारी समस्यांए पैदा हो जाती है।
इस मौसम में मुर्गी पालक के लिए आवश्यक हो जाता है की वह अपने मुर्गी घर का तापमान कम बनाये रखे। इसके लिए वह मुर्गीघर की छत खरपतवार की बना कर या मुर्गीघर में कूलर की व्यवस्था करके , गर्म हवाओं से बचाने के लिए पर्दे लगाकर बार बार पानी का छिड़काव तो करें ही , साथ ही साथ पानी को बार बार बदलकर ठंडा बनाये रखें।
गर्म पानी पीने से मुर्गियों में बीमारी के चांस ज्यादा रहते हैं। टीकाकरण कार्यक्रम हो या मुर्गियों को दूसरी जगह शिफ्ट करना हो तो वो भी सुबह सुबह के वक़्त ही बेहतर रहता है।
गर्मियों में मुर्गियों को दाना भी सुबह के वक़्त ही खिलाना बेहतर होता है। अगर मुर्गियों को दिन में दाना देना भी पड़े तो कम समय के लिए ही दें और फिर दाना हटा दें। ऐसा न करने से मुर्गियों की उत्पादन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
अगर इस व्यवसाय से कमाई की बात करी जाए तो मांस वाली मुर्गियों में 1000 मुर्गियों पर पांच सप्ताह में लगभग एक लाख साठ हजार के खर्च पर नेट बचत लगभग 30 हजार रूपये पांच सप्ताह में कमाई जा सकती है। लेयर फार्मिंग करके इस आय को बढ़ाया जा सकता है।