जिरेनियम के तेल का इस्तेमाल एरोमा थेरेपी, सौंदर्य प्रसाधन, मेडिसनल में होता है। जिरेनियम के पौधे से निकलने वाला तेल काफी कीमती होता है। भारत में इसकी औसत कीमत करीब 20 हजार रुपए प्रति लीटर है। 4 महीने की इस फसल से प्रति एकड़ डेढ़ सो दो लाख रुपये का मुनाफ़ा किसानों को हो जाता है।
दरअसल जिरेनियम की खेती में सबसे महंगा होता है इसके पौधे को तैयार करना, इसके पौधे कटिंग के ज़रिए तैयार किये जाते है। लेकिन बारिश के मौसम में इसकी नर्सरी पौध खराब हो जाती है, जिसके कारण किसानों को दोबारा पौध खरीदनी या तैयार करनी पड़ती है।
जिससे किसानों का इसकी खेती पर लागत खर्च बढ जाता है। इसी परेशानी को दूर करने के लिए सीमैप के कृषि वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिससे की बारिश के मौसम में भी इसके पौधे सुरक्षित रह सकें,और किसानों को जिरेनियम की खेती पर कम खर्च करना पड़े।
दरअसल बरसात में जिरेनियम के जो पौधे बच जाते हैं, उनसे अक्टूबर महीने में नर्सरी तैयार की जाती है। फिर जब पौध तैयार हो जाते हैं, तो नवंबर से लेकर फरवरी तक के महीने में कभी भी रोपाई कर दी जाती है।
अगर किसान एक एकड़ में जिरेनियम की खेती करना चाहता है, तो इसके लिए उसे नर्सरी में 20-22 हजार पौधे तैयार करके लगाने होंगे। बस ध्यान ये रखें की मदर प्लांट से निकाली गई कटिंग को 30 या 45 सेंटीमीटर की दूरी पर ही लगाएं।
परंपरागत खेती में कम पानी और जंगली जानवरों से परेशान किसानों के लिए जिरेनियम की खेती राहत देने वाली साबित हो सकती है। जिससे उन्हें परंपरागत फ़सलों के मुकाबले दोगुना लाभ भी मिलेगा।