{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } कोरोना का संकट देश के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता है। फरवरी के महीने में शुरु हुआ यह संकट अब मध्य में है। सबका कहना है की अभी तो हालात और खराब होंगे। ऐसे में अब जब देश में
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } कोरोना का संकट देश के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता है। फरवरी के महीने में शुरु हुआ यह संकट अब मध्य में है। सबका कहना है की अभी तो हालात और खराब होंगे। ऐसे में अब जब देश में
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } दिल्ली में कोरोना नामक बीमारी का संक्रमण अब समाज में फैलता जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि जुलाई के अंत तक लाखों लोगों को कोरोना हो जाएगा। ऐसे में अब सवाल किससे किया जाएगा ? लोकतंत्र में जिसे
{श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } पृथ्वी लोक हो या पाताल लोक हो, प्रत्येक प्राणी का हिसाब किताब ईश्वर के पास रहता है। हमारे सारे कर्मों की गणना उनके पास रहती है। आगे देखा जाते तो 9 ग्रह और 27 नक्षत्रों के आधार पर संसार के जीवों
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } आज से हज़ारों साल पहले कई समुदायों का जन्म हुआ था। धीरे धीरे इनके अनुयायी बढ़ते गए और आखिर में इन्होने धर्म का रूप धारण कर लिया। जैन, बौद्ध, इस्लाम, ईसाई ये सभी धर्म धीरे धीरे जन मानस में प्रसार
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } भगवान् श्री विष्णु के आदेश से जब ब्रह्म जी ने इस सृष्टि का निर्माण किया तो उन्होंने इस सृष्टि के संचालन के कई नियम बनाये है। उन नियमों का पालन करने पर ही जीवन सफल हो सकता है। मनुष्य के
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } इस वक़्त पूरी दुनिया की धड़कने बढ़ गयी है और उसका सबसे बड़ा कारण है कोरोना नाम की महामारी। दरअसल इस महामारी ने दुनिया को ऐसा जकड़ा है कि लोगों को समझ नहीं आ रहा क्या करे ! वैसे ये
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } आज इस कोरोना के महासंकट के कारण देश में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए है। कई लोग तो अपनी नौकरी खो चुके है और अब बेरोजगारों की तरह दर दर की ठोकरे खा रहे है। ऐसे लाखों मजदुर है जो
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } वर्तमान समय ऐसा है कि जब एक देश किसी दूसरे देश को दुःखी देखना चाहता है सुखी नहीं। आज के समय में हर देश अपनी सीमा विस्तार करने में लगे हुए है। सिर्फ भारत देश ऐसा है जिसमें पड़ोसियों के
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } ज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दे क्या ख़ाक जिया करते है। ये किसी ने ऐसे ही नहीं लिखा है। इसके पीछे गहरे अर्थ निहित है। दरअसल जीवन को सुखी करने के लिए हर इंसान दिन रात मेहनत करता है किंतु
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } इस देश की जनता देश भक्त है और यह बात किसी से छिपी नहीं है। हम जब अंग्रज़ों के गुलाम थे तब हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ने साथ मिलकर देश को आज़ाद करवाया था। सरकार की नीतियों का पालन करना
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } इस संसार में जो भी कार्य होते है वो मानव जन्य ही होते है। इंसान की कार्य को संपन्न करता है और वही कार्य को बिगाड़ता है। इस संसार में कोई भी कार्य बिना मानव की स्वीकृति के नहीं हो
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } कोरोना का संकट जब इस देश में आया था तो हम सबने डटकर इसका मुकाबला किया। देश में दो महीनें से भी अधिक के समय तक लॉकडाउन रहा था। इस देश के हर व्यक्ति ने इस लड़ाई में अपना योगदान
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } लॉकडाउन के बाद अनलॉक शुरू हो गया है और इस दौरान हमे बहुत ही सावधानी और ध्यान से काम करना होगा। ये जो कोरोना नाम का बुखार है इससे हम तभी दूर रह सकते है जब हम सभी नियमों का
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } मानव अपने कर्मों के अनुसार कुंडली में उच्च के ग्रहों को प्राप्त करता है लेकिन जो देव आत्मा होती है उनकी कुंडली में उच्च के ग्रह पहले से विधमान होते है। ये लोग संसार में अपने महान कर्मों से जाने
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } कोरोना वायरस की मार से दुनिया बेहाल है और ये देश भी इस वायरस से लड़ाई लड़ रहा है। इस लड़ाई को देशवासी पूरी लगन और मेहनत से साथ लड़ रहे है लेकिन कही ना कही हमसे कुछ गलतियां हुई