{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से }
दिल्ली में कोरोना नामक बीमारी का संक्रमण अब समाज में फैलता जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि जुलाई के अंत तक लाखों लोगों को कोरोना हो जाएगा। ऐसे में अब सवाल किससे किया जाएगा ?
लोकतंत्र में जिसे जनता वोट देकर जिताती है वही उस राज्य की जनता का मुखिया होता है। ऐसे में अब दिल्ली के सीएम से ये पूछा जाना चाहिए की लॉकडाउन के दौरान उन्होंने क्या तैयारी की ?
देखा जाए तो फरवरी में हुए दिल्ली के दंगों में भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारी केंद्र पर डाल दी जबकि उनके खुद के पार्षद साजिशकर्ता निकले है।

इसके बाद जानकारी के बाद भी मरकज में हज़ारों विदेशियों को जमा होने दिया गया। जब आपको पता था की कोरोना नाम की बीमारी फैल रही है तो कांटेक्ट ट्रेसिंग क्यों नहीं की ?
अब जब दिल्ली के अस्पतालों में जगह नहीं है, लोगों खुद सामने आकर आपकी कमियों को उजागर कर रहे है ऐसे में क्यों नहीं केजरीवाल से सवाल किया जाए ?
ऐसे समय में जब बाकी राज्य कोरोना की लड़ाई काफी हद तक जीत चुके है लेकिन दिल्ली सरकार के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण लोगों की जान संकट में है।
दिल्ली में हर तीसरा व्यक्ति कोरोना से पीड़ित है ,अगर समय रहते कदम उठा लिए होते तो आज ये दिन नहीं देखना होता।
आज 44 हज़ार है, जुलाई में ये लाखों हो जायेगे ? उनका इलाज़ करने वाले डॉक्टर्स कहां से आएंगे ?
जब लाखों लोग अस्पताल में होंगे तो बाकी बीमारी का इलाज़ कौन करेगा ? अगर नर्सों को कोरोना हो गया तो कैसे चलेगा ? ये सब तब मार्च में सोचना था लेकिन तब आरोप लगाने की राजनीति करते रहे।
कोरोना के इस संकट में देखा जाए तो केजरीवाल नाकाम साबित हुए है।