{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } आज के समय में देश दो फ्रंट पर लड़ाई लड़ रहा है। एक तरफ तो देश में रोज 90 हज़ार से अधिक कोरोना के मरीज मिल रहे है वहीं लद्दाख के इलाके में हमारी भारतीय सेना चीन के एजेंडे से
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } आज के समय में देश दो फ्रंट पर लड़ाई लड़ रहा है। एक तरफ तो देश में रोज 90 हज़ार से अधिक कोरोना के मरीज मिल रहे है वहीं लद्दाख के इलाके में हमारी भारतीय सेना चीन के एजेंडे से
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } इस संसार की रचना स्वयं ईश्वर ने की है और संसार का पालन भी वहीं करते है। वो हर समय इस संसार की चिंता करते है और उनके सहकर्मी भी इस संसार के संचालन में उनका साथ देते है और
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } हमारा पूरा भारत न्याय, धर्म और नीति पर चला है। इस पृथ्वी पर हर बार सभ्यता का जन्म लेती है और हर युगों में ईश्वर के हिसाब से वो चलती है। इस पृथ्वी पर चारों युग अपना अपना समय पूरा
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } इस पुरे विश्व में ऐसी अनेक समस्याऐं है जिनका समाधान ऐसा लगता है की कभी नहीं होगा या शायद होगा ही नहीं ! हाल ही में पिछले साल के अंत से शुरू हुई कोरोना महामारी को ही देख लीजिये। ये
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } सनातन धर्म में कहा गया है कि 84 लाख योनि में भटकने का बाद मनुष्य को अपने अच्छे कर्मो से मनुष्य जन्म प्राप्त होता है। इनमे से कुछ लोग वो होते है जो मोक्ष पाने की कोशिश करते है और
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } मानव , दानव, पशु पक्षी या कोई भी जीव आत्मा हो वो जिस शरीर में प्रवेश करती हैं उस योनि में वो अपने पिछले जन्म का फल भोगने आती है। मनुष्य के कर्मों का लेखा जोखा तो उसके भाग्य के
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } दूसरों को आदर देने के मामले में खूब उदार हो जाएं, इसमें कोई कंजूसी न रखें, बाबा तुलसीदास जी एक जगह लिख गए है- “जदपि कबित रस एकउ नाही। राम प्रताप प्रगट एहि माही” ।। मतलब यह है कि यद्यपि
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } हर इंसान के जीवन में ऐसा कोई ना कोई गुण होता है जिसकी वजह से उसकी समाज में इज्जत होती है। वो उसका ज्ञान भी हो सकता है और किसी उच्च पद पर नौकरी करने के कारण भी हो सकता
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } इस समस्त ब्रह्मांड की रचना खुद श्री हरि विष्णु ने की है और एक बार जब दुर्वासा ऋषि ने उनसे उनके कार्य के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस सृष्टि से
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } कहते है कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की कोई ज़रूरत नहीं होती है। अगर आप मोबाइल पर बात कर रहे है और सामने से कोई गाड़ी आपको आकर चोट पहुंचा देती है तो इसमें उसकी क्या गलती है ? अगर आप
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } अगर आप पुनर्जन्म में यकीन करते है तो आप इस बात में भी यकीन करेंगे की इंसान को उसके कर्मों का फल यही भोगना पड़ता है। कई बार इंसान ऐसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है जो उसने सोचा
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } अगर आप इस संसार को गौर से देखेंगे तो आप पायेगे की ईश्वर ने हर किसी को कुछ ना कुछ खासियत दी है। जैसे शेर जो कर सकता है वो गाय नहीं करती है लेकिन गाय के दूध से लोगों
वैसे तो आज उस शख्सियत का जन्मदिन है जिसने दुनिया को संत शब्द का मतलब अच्छे से समझाया, वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में भी और भूतकाल के भी। भविष्य की बात तो देखी किसने है, लेकिन हां भूतकाल के साथ वर्तमान भी अगर हम अच्छा बनाकर चल रहे हैं। तो निश्चित
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } अगर हम मानव शरीर की कल्पना करें तो दिल और दिमाग काम करना बंद कर देता है। हर शरीर असंख्य कोशिकाओं से बना हुआ है। अगर आप देखे तो रक्त महज एक तरल पदार्थ है लेकिन उसकी उपयोगिता सबसे अधिक
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } एक ऐसा व्यक्ति जो अपने समय में विद्या और ज्ञान अर्जित नहीं कर पाया उसे जीवन भर पछताने के अलावा कुछ नहीं मिलता है। ज्ञान एक ऐसी चीज़ जो हर समय और हर देश में मनुष्य का साथ देती है।