कई मुश्किलें ऐसी होती है जिनका हल पुरे देश के सहयोग के बिना नहीं हो सकता है। लेकिन जब पुरे देश में एक ही सरकार हो तो उम्मीद बढ़ जाती है कि सदियों से लंबित पड़े कामों को किया जाए, इस देश की सरकार ने बांग्लादेश के साथ सीमा विवाद
कई मुश्किलें ऐसी होती है जिनका हल पुरे देश के सहयोग के बिना नहीं हो सकता है। लेकिन जब पुरे देश में एक ही सरकार हो तो उम्मीद बढ़ जाती है कि सदियों से लंबित पड़े कामों को किया जाए, इस देश की सरकार ने बांग्लादेश के साथ सीमा विवाद
किसी भी राज्य की भलाई इसी में है की उसका राजा योग्य हो और युवा हो तभी उस राज्य का कुछ भला हो सकता है। रामायण के एक प्रसंग से हमे ये सीख मिलती है की कैसे स्वयं को समय रहते सिंहासन की दौड़ से अलग करना चाहिए। मानस में
हमारे ऋषि मुनियों ने हमेशा से कहा है कि इंसान को एकाग्र होना चाहिए। प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती है। जैसे एक इंसान मोबाइल पर बात करते हुए सड़क पर चलता है लेकिन उसका ध्यान आस पास नहीं है। उसका चित्त इस बात को समझ ही नहीं रहा
आज विश्व बचत दिवस है। पूरे विश्व मे बचत की वृत्ति को प्रेरित करने के लिए आज का दिन माना जाता है। जिस तरह से विश्वभर में आर्थिक मंदी का वातावरण छाया हुआ है, बड़ी-बडी अर्थव्यवस्थाएं हिल गई, उस दौर में लोग समझ गए कि जिन्होंने बचत की वो बच
मनुष्य जीवन में धन का बड़ा महत्व है। अगर जीवन में धन नहीं हो तो जीवन की सभी जरूरत पूरी नहीं की जा सकती है। आचार्य चाणक्य में भी कहा है की दरिद्र से बड़ा कोई दुःखी नहीं है। इसलिए जीवन में धन का होना जरुरी है। बिना धन के
भगवद गीता एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें जीवन से जुड़े सभी प्रश्न के उत्तर है। महाभारत जिसे की पंचम वेद भी कहा जाता है उसी के अंदर गीता है जिसे श्री कृष्ण अर्जुन को सुनाते है। दरअसल युद्ध की शुरुआत में अर्जुन ने कौरव पक्ष में अपने कुटुंब के लोग
शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए प्रत्येक सरकार प्रयासरत रहती है। पिछले 70 वर्षों में देश की सरकारें कई तरह का वादा करती रही लेकिन देखा जाए तो इस बुरी स्थिति में कोई ख़ास बदलाव नहीं आया है। क्यूंकि ऐसा होता तो एक व्यापक बदलाव नज़र आता लेकिन जब आप
रामायण एक ऐसा ग्रन्थ है जिससे आप अपने जीवन को सुखी कर सकते है। जीवन में अगर प्रबंध कोई सीखा सकता है तो वो रामायण के पात्र है। रामायण का हर पात्र अपने आप में आपको बहुत कुछ सीखा रहा है और इसमें गृहस्थ की भी सीख है। जब मंदोदरी
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि को नवरात्र के नाम से जाना जाता है, इन नौ दिनों में माता रानी के नौ रूपों की पूजा की जाती है और उसके अगले दिन यानी दशमी तिथि को दशहरा कहा जाता है। इस दिन को अधर्म पर
पृथ्वी लोक हो या पाताल लोक हो, प्रत्येक प्राणी का हिसाब किताब ईश्वर के पास रहता है। हमारे सारे कर्मों की गणना उनके पास रहती है। आगे देखा जाते तो 9 ग्रह और 27 नक्षत्रों के आधार पर संसार के जीवों का अस्तित्व टिका हुआ है। इसी के आधार पर
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } पोषक आहार का सेवन गर्भ अवस्था से ही लेना शुरू कर देना चाहिए, लेकिन आज कल हम आधुनिक व्यवस्था में फंसकर प्राचीन रीति रिवाज़ को भूलकर शारीरिक श्रम करना छोड़ते जा रहे है और यह ठीक नहीं है। पोषक तत्व
हमने अक्सर देखा है की समाज में लोग अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए तरह तरह के जतन करते है और कई लोग अपनी इच्छाओं को पूरी करने में सफल भी हो जाते है। इसके बाद जब एक बार वो सफल होते है तो दूसरी इच्छा में लग जाते
इस मृत्यु लोक में सुख और दुःख जीवन के अहम हिस्से है और हर प्राणी को इन्हें भोगना होता है। जब श्री हरि विष्णु ने अवतार लिए तो भी उन्हें इन चीजों से गुजरना पड़ा। जब उन्होंने राम का अवतार लिया तो राज्य अभिषेक के सिर्फ एक दिन पहले उन्हें
जीवन में दो प्रकार की सिचुएशन होती है, एक वो जब आप किसी कार्य को संपादित करने के लिए चुने जाते है और एक वो जब किसी कार्य को आप मैनेज करते है। अब दोनों को किस प्रकार का व्यवहार करना है इसकी सटीक मिसाल सुंदरकांड में है। इस बात
आम तौर पर हर व्यक्ति आज आपसे यह कहता हुआ दिखाई देता है की वो दुःखी है। आप यह सोचते है की आखिर ऐसा क्यों है ? ऐसा क्यों होता है की एक व्यक्ति के पास धन, सम्पदा , नौकरी सब है उसके बाद भी क्यों दुःखी है ? दरअसल