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बहुत नुकसान करता है क्रोध : भगवान श्रीकृष्ण से सीखे क्रोध पर काबू करना

बहुत नुकसान करता है क्रोध : भगवान श्रीकृष्ण से सीखे क्रोध पर काबू करना

क्रोध, जिसके आते ही इंसान तैश में आ जाता है और उसके बाद उसके मुंह से जाने अनजाने वो निकल जाता है जो उसका ना जाने कितना नुकसान कर देता है।  कहते है की क्रोध एक ऐसी आग है जो सब कुछ जलाकर भस्म कर देती है। आम तौर पर

एक इंसान को दूसरे इंसान के साथ मेहमान नवाजी के साथ सलूक करना चाहिए, पढ़े

एक इंसान को दूसरे इंसान के साथ मेहमान नवाजी के साथ सलूक करना चाहिए, पढ़े

{  श्री अचल सागर जी महाराज की कमल से } उस परवरदिगार ने इस दुनिया को बनाते वक़्त यह नहीं सोचा होगा की जिसे मैं इंसान बना रहा हु एक दिन वही इंसान जुल्मों सितम की दास्तान लिख देगा। जो खुद ही अपने जिगर में खुदाई का ज़ज़्बा पैदा करके

हम आधुनिक व्यवस्था में फंसकर प्राचीन रीति रिवाज़ को भूलकर शारीरिक श्रम करना छोड़ते जा रहे है

हम आधुनिक व्यवस्था में फंसकर प्राचीन रीति रिवाज़ को भूलकर शारीरिक श्रम करना छोड़ते जा रहे है

पोषक आहार का सेवन गर्भ अवस्था से ही लेना शुरू कर देना चाहिए, लेकिन आज कल हम आधुनिक व्यवस्था में फंसकर प्राचीन रीति रिवाज़ को भूलकर शारीरिक श्रम करना छोड़ते जा रहे है और यह ठीक नहीं है। पोषक तत्व बहुत जरुरी है क्यूंकि इससे शरीर में ऊर्जा का संचार

ईश्वर दुनिया को संचालित करता है : संतुलन बनाये रखने के लिए वो आदिकाल से सुर असुर, दानव -मानव उत्पन्न करता है

ईश्वर दुनिया को संचालित करता है : संतुलन बनाये रखने के लिए वो आदिकाल से सुर असुर, दानव -मानव उत्पन्न करता है

{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } बड़े बड़े महापुरुष और ऋषि मुनि ने शास्त्रों और वेदों का अध्ययन करके यह सार निकाला की ईश्वर एक है, और उसके रूप अनेक हो सकते है, शायद यही कारण है कि ईश्वर को अविनाशी कहा जाता है। हम सभी

कभी भी अपने आप को ईश्वर से बड़ा नहीं समझना चाहिए ना ही दौलत का घमंड करना चाहिए

कभी भी अपने आप को ईश्वर से बड़ा नहीं समझना चाहिए ना ही दौलत का घमंड करना चाहिए

{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } पूरी मानव जाति यह जानती है कि आज परम् पिता का ओहदा मानव ने ले लिया है। कलियुग में जिसके पास धन संपत्ति है वही अपने आप को ईश्वर समझ बैठता है। आज कल देखा जाता है की कई देशों

ऐसे कौनसे 4 सुख है जिन्हें प्राप्त करते ही मनुष्य पूर्ण रूपेण सुखी हो जाता है, पढ़े

ऐसे कौनसे 4 सुख है जिन्हें प्राप्त करते ही मनुष्य पूर्ण रूपेण सुखी हो जाता है, पढ़े

ज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दे क्या ख़ाक जिया करते है। ये किसी ने ऐसे ही नहीं लिखा है। इसके पीछे गहरे अर्थ निहित है। दरअसल जीवन को सुखी करने के लिए हर इंसान दिन रात मेहनत करता है किंतु ईश्वर सुख और दुःख का पलड़ा सदैव बराबर रखता है।

जब लोगों का पाप बढ़ जाता हैं तो स्वयं ईश्वर जन्म लेता है और इनका नाश करता है, पढ़िए

जब लोगों का पाप बढ़ जाता हैं तो स्वयं ईश्वर जन्म लेता है और इनका नाश करता है, पढ़िए

बड़े बड़े महापुरुष और ऋषि मुनि ने शास्त्रों और वेदों का अध्ययन करके यह सार निकाला की ईश्वर एक है, और उसके रूप अनेक हो सकते है, शायद यही कारण है कि ईश्वर को अविनाशी कहा जाता है। हम सभी पृथ्वी वासियों का अस्तित्व उन्ही से जुड़ा हुआ है। इसलिए

जीवन शैली को ही इस कोरोना नाम की महामारी का इलाज बनाइए, पढ़े

जीवन शैली को ही इस कोरोना नाम की महामारी का इलाज बनाइए, पढ़े

क्योंकि इंसान का मन पकड़ में आता नहीं, इसलिए दूसरों को पता नहीं चलता, लेकिन यह सत्य है कि मनुष्य दो बातों पर सर्वाधिक ध्यान देता है। दूसरे के शरीर पर और अपने स्वयं के शरीर पर। फिर शरीर का अगला कदम होता है। धन, वासना, भोग आदि। पर शुरुआत

आधुनिकता की चकाचौंध : स्त्री और पुरुष दोनों ने ही गांव की परम्पराओं को मानना छोड़ दिया

आधुनिकता की चकाचौंध : स्त्री और पुरुष दोनों ने ही गांव की परम्पराओं को मानना छोड़ दिया

{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } हम भली भांति जानते है की जितने भी शहर बसे है वो ग्रामीण जनता द्वारा ही विकसित हुए है। धीरे धीरे गांव छोटे होते गए और गावों की आबादी शहरों में आकर बस गयी। शहर वाले लोग आज हर फील्ड

श्री भगवान ने इस संसार में जो भी रचना की वो अद्वितीय है, आत्मा भी नया शरीर धारण करती है

श्री भगवान ने इस संसार में जो भी रचना की वो अद्वितीय है, आत्मा भी नया शरीर धारण करती है

{ श्री अचल सागर महाराज की कलम से } श्री भगवान ने इस संसार में जो भी रचना की वो अद्वितीय है। एक बच्चा जन्म लेता है और उसी के साथ उसकी जीवन लीला शुरू होती है। इंसान का जीवन सारे चरणों से गुजरते हुए आखिर में वृद्धावस्था तक जाता

सर्वाधिक प्राचीन धर्म सनातन धर्म है और इसका पालन करने वालों को मानवतावादी कहा गया, जानिए इसके बारे में

सर्वाधिक प्राचीन धर्म सनातन धर्म है और इसका पालन करने वालों को मानवतावादी कहा गया, जानिए इसके बारे में

{श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } प्रलय का अर्थ है सृष्टि का विनाश, उसके उपरांत आदि शक्ति अपनी अमोघ शक्ति से ब्रह्मा, विष्णु और महेश को उत्पन्न करती है। आदि शक्ति से अमोघ शक्ति मिलने के बाद ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते है। उसके बाद वो ग्रहों

मनुष्य सिर्फ अपना नहीं बल्कि पूरी सभ्यता का भला सोचे, तभी देश का विकास संभव होगा, पढ़े

मनुष्य सिर्फ अपना नहीं बल्कि पूरी सभ्यता का भला सोचे, तभी देश का विकास संभव होगा, पढ़े

{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } आज के समय में हर कोई इंसान अमीर बनना चाहता है, लेकिन सबसे जरुरी चीज़ यह नहीं है की आप अपने लिए कितना पैसा कमाते है बल्कि जरुरी यह है कि आप अपने समाज को कितना महत्व देते है। जिस

पंच तत्वों का संरक्षण करे वरना इसका दुष्परिणाम भुगतना होगा, पढ़िए

पंच तत्वों का संरक्षण करे वरना इसका दुष्परिणाम भुगतना होगा, पढ़िए

{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } भगवान् श्री विष्णु के आदेश से जब ब्रह्म जी ने इस सृष्टि का निर्माण किया तो उन्होंने इस सृष्टि के संचालन के कई नियम बनाये है। उन नियमों का पालन करने पर ही जीवन सफल हो सकता है। मनुष्य के

हम अपने विवेक से चाहे तो बहुत कुछ अच्छा कर सकते है : जानिए कैसे !

हम अपने विवेक से चाहे तो बहुत कुछ अच्छा कर सकते है : जानिए कैसे !

{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } इस संसार में सिर्फ मानव जाति ऐसी है जो तत्वहीन नहीं है। संसार में हर जीव की बनावट अलग है, उसका रंग रूप अलग है। पशु अलग है तो जीव अलग है। अगर पक्षी अलग है तो जानवर अलग है।

प्रभु द्वारा दी गई हर वस्तु कीमती है उसका सम्मान करें, दान देने से ही होगा कल्याण

प्रभु द्वारा दी गई हर वस्तु कीमती है उसका सम्मान करें, दान देने से ही होगा कल्याण

उस परमपिता ईश्वर की कृपा जिस पर हो वो व्यक्ति कभी भी कंगाल नहीं हो सकता है। कई लोग जीवन में मेहनत करते है लेकिन उन्हें उतना धन नहीं मिल पाता है लेकिन ईश्वर की कृपा से कई बार कई लोगों के पास अधिक धन आता है। एक जीव की