क्रोध, जिसके आते ही इंसान तैश में आ जाता है और उसके बाद उसके मुंह से जाने अनजाने वो निकल जाता है जो उसका ना जाने कितना नुकसान कर देता है। कहते है की क्रोध एक ऐसी आग है जो सब कुछ जलाकर भस्म कर देती है। आम तौर पर
क्रोध, जिसके आते ही इंसान तैश में आ जाता है और उसके बाद उसके मुंह से जाने अनजाने वो निकल जाता है जो उसका ना जाने कितना नुकसान कर देता है। कहते है की क्रोध एक ऐसी आग है जो सब कुछ जलाकर भस्म कर देती है। आम तौर पर
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कमल से } उस परवरदिगार ने इस दुनिया को बनाते वक़्त यह नहीं सोचा होगा की जिसे मैं इंसान बना रहा हु एक दिन वही इंसान जुल्मों सितम की दास्तान लिख देगा। जो खुद ही अपने जिगर में खुदाई का ज़ज़्बा पैदा करके
पोषक आहार का सेवन गर्भ अवस्था से ही लेना शुरू कर देना चाहिए, लेकिन आज कल हम आधुनिक व्यवस्था में फंसकर प्राचीन रीति रिवाज़ को भूलकर शारीरिक श्रम करना छोड़ते जा रहे है और यह ठीक नहीं है। पोषक तत्व बहुत जरुरी है क्यूंकि इससे शरीर में ऊर्जा का संचार
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } बड़े बड़े महापुरुष और ऋषि मुनि ने शास्त्रों और वेदों का अध्ययन करके यह सार निकाला की ईश्वर एक है, और उसके रूप अनेक हो सकते है, शायद यही कारण है कि ईश्वर को अविनाशी कहा जाता है। हम सभी
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } पूरी मानव जाति यह जानती है कि आज परम् पिता का ओहदा मानव ने ले लिया है। कलियुग में जिसके पास धन संपत्ति है वही अपने आप को ईश्वर समझ बैठता है। आज कल देखा जाता है की कई देशों
ज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दे क्या ख़ाक जिया करते है। ये किसी ने ऐसे ही नहीं लिखा है। इसके पीछे गहरे अर्थ निहित है। दरअसल जीवन को सुखी करने के लिए हर इंसान दिन रात मेहनत करता है किंतु ईश्वर सुख और दुःख का पलड़ा सदैव बराबर रखता है।
बड़े बड़े महापुरुष और ऋषि मुनि ने शास्त्रों और वेदों का अध्ययन करके यह सार निकाला की ईश्वर एक है, और उसके रूप अनेक हो सकते है, शायद यही कारण है कि ईश्वर को अविनाशी कहा जाता है। हम सभी पृथ्वी वासियों का अस्तित्व उन्ही से जुड़ा हुआ है। इसलिए
क्योंकि इंसान का मन पकड़ में आता नहीं, इसलिए दूसरों को पता नहीं चलता, लेकिन यह सत्य है कि मनुष्य दो बातों पर सर्वाधिक ध्यान देता है। दूसरे के शरीर पर और अपने स्वयं के शरीर पर। फिर शरीर का अगला कदम होता है। धन, वासना, भोग आदि। पर शुरुआत
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } हम भली भांति जानते है की जितने भी शहर बसे है वो ग्रामीण जनता द्वारा ही विकसित हुए है। धीरे धीरे गांव छोटे होते गए और गावों की आबादी शहरों में आकर बस गयी। शहर वाले लोग आज हर फील्ड
{ श्री अचल सागर महाराज की कलम से } श्री भगवान ने इस संसार में जो भी रचना की वो अद्वितीय है। एक बच्चा जन्म लेता है और उसी के साथ उसकी जीवन लीला शुरू होती है। इंसान का जीवन सारे चरणों से गुजरते हुए आखिर में वृद्धावस्था तक जाता
{श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } प्रलय का अर्थ है सृष्टि का विनाश, उसके उपरांत आदि शक्ति अपनी अमोघ शक्ति से ब्रह्मा, विष्णु और महेश को उत्पन्न करती है। आदि शक्ति से अमोघ शक्ति मिलने के बाद ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते है। उसके बाद वो ग्रहों
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } आज के समय में हर कोई इंसान अमीर बनना चाहता है, लेकिन सबसे जरुरी चीज़ यह नहीं है की आप अपने लिए कितना पैसा कमाते है बल्कि जरुरी यह है कि आप अपने समाज को कितना महत्व देते है। जिस
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } भगवान् श्री विष्णु के आदेश से जब ब्रह्म जी ने इस सृष्टि का निर्माण किया तो उन्होंने इस सृष्टि के संचालन के कई नियम बनाये है। उन नियमों का पालन करने पर ही जीवन सफल हो सकता है। मनुष्य के
{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से } इस संसार में सिर्फ मानव जाति ऐसी है जो तत्वहीन नहीं है। संसार में हर जीव की बनावट अलग है, उसका रंग रूप अलग है। पशु अलग है तो जीव अलग है। अगर पक्षी अलग है तो जानवर अलग है।
उस परमपिता ईश्वर की कृपा जिस पर हो वो व्यक्ति कभी भी कंगाल नहीं हो सकता है। कई लोग जीवन में मेहनत करते है लेकिन उन्हें उतना धन नहीं मिल पाता है लेकिन ईश्वर की कृपा से कई बार कई लोगों के पास अधिक धन आता है। एक जीव की