भारत और चीन के बीच बढ़े सीमा विवाद के बीच चीनी सामानों के बहिष्कार का देखने को मिला। तभी इस बार गणेश चर्तुर्थी के मैके पर लोगों ने चीन के बने गणेश प्रतिमा का बहिष्कार किया ही, वही चाइना में बानी सजावटी सामानों से भी दूरी बनाई। इसके बजाय लोगों ने मेक इन इंडिया को प्राथमिकता दी, जिससे देशी कारोबारियों का कारोबार में मुनाफा हुआ । कारोबारियों का कहना है कि हर साल भारतीय चीन से आई 500 करोड़ रुपये की तो सिर्फ गणेश की प्रतिमा ही खरीद लेते थे।
चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के साथ इस वर्ष के सभी त्योहारों को भारतीय सामान के इस्तेमाल के साथ मनाने का देश भर में समर्थन दिखाई दे रहा है। इसके फलस्वरूप लोगों द्वारा स्थानीय शिल्पकारों और कलाकारों द्वारा बनाए गई गणेश जी की प्रतिमाओं को पूजन के लिए इस्तेमाल कर रहे है । जगह जगह गणेश चतुर्थी के लिए विभिन्न राज्यों में अनेक प्रकार की गणेश प्रतिमाओं को स्थानीय कलाकारों द्वारा विशेष रूप से बनवाया। इनमें खास तौर पर मिट्टी, खाद एवं गोबर से बनी गणेश जी की प्रतिमाएं हैं, जिसमें तुलसी, सदाबहार तथा खेती के बीजों को डाला गया जिससे कि विसर्जन के बाद इन बीजों को पौधों में लगाया जा सके। इन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन सहजता के साथ लोग अपने घरों में किसी बाल्टी अथवा अन्य किसी बड़े पात्र में कर सकते हैं।