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भारतीय स्टॉक मार्केट का बिग बी जिसने किया INDIA का सबसे बड़ा SCAM, एक क्लिक में जानें प्रधानमंत्री पर क्यों लगा घूस लेने का आरोप

By RNI Hindi Desk 
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रिपोर्ट: गीतांजली लोहनी

नई दिल्ली: भारतीय स्टॉक मार्केट का अमिताभ बच्चन कहे जाने वाला हर्षद शांति लाल मेहता। ये 1990 के दशक का वो पारस पत्थर था जो किसी भी चीज को छूने से सोना बना देता था।लेकिन कौन जानता था कि स्टॉक एक्सचेंज का ये किंग 5 हजार करोड़ का घोटालेबाज निकलेगा। आज हम आपको बताने जा रहे है भारत के सबसे बड़े घोटालेबाज की रहस्यमयी मौत के बारें में ।

गुजरात के राजकोट में सन् 1954 में जन्में हर्षद मेहता  ने जब किस्मत की लकीरों से हाथ मिलाया तो उसे किस्मत गुजरात से उठाकर सपनों की नगरी मुंबई ले गयी।जहां मेहता नें बीकॉम में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की । हर आम आदमी की तरह हर्षद नें भी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखें जिसमें उसने हौजरी बेचने से लेकर डॉयमंड चुनने तक का काम करना पड़ा। हालांकि स्टॉक मार्केट में मेहता की दिलचस्पी  New India Assurance co. Ltd कंपनी में नौकरी लगने से ही शुरु हुई।और इसी बीच हर्षद ने मुंबई के मशहूर ब्रोकर प्रसन्न परिजीवनदास से ट्रेनिंग का गुरुमंत्र सीख कर सबको पछाड़ दिया। और मेहता 1984 में खुद की ग्रो मोर रीसर्स एंड असेट मैनेजमेंट कंपनी की नींव रखी और फिर जो हुआ उसके बाद आजतक कोई उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाया है।साल 1990 तक हर्षद महता इंडियन स्टॉक मार्केट का बहुत बड़ा नाम बन चुका था। 90 के दशक तक तो मिडिया भी महता को द बिग बुल के नाम  से विश्व प्रसिद्ध कर चुकी थी। हर्षद के वर्ली में स्थित उनके 15 हजार फीट के घर में स्विमिंग पूल और गोल्फ कोर्स के साथ हर वो चीज मौजूद थी जो 90 के दशक के तमाम पैसे वाले अपने सपने के घर में सजाना चाहते थे।

हर्षिद मेहता को कारों का बहुत शौक था इसीलिए उनके घर के पार्किंग स्लॉट में लग्जरी कारों की छड़ी सी लगी हुई थी।जिसको खरीदना उस वक्त के करोड़पति लोगों के ही बस की बात थी।

यहां पढ़ें हर्षद मेहता के काम करने का राज जिसके खुलने पर देश का बैंकिंग सिस्टम तक हिल गया-

दरअसल,हर्षद मेहता के काले बाजार का पर्दा फास करने वाली मशहूर पत्रकार सुचेता दलाल के अनुसार हर्षद मेहता रेडी फॉर्वर्ड यानि RF wheel  के जरिएं से 15 दिन का शॉर्ट टर्म लोन उठाता औऱ फिर उसे बाजारों में लगा देता बिना किसी बैंक को खबर किये। मेहता 2 बैंक के बिचौलिये का काम करता , जिससे वो एक बैंक से सरकारी बॉन्ड को गिरवी रखवाकर दूसरे बैंक को उधार देता था, जो एक रसीद के आधार पर चलता था।  दरअसल, भारतीय सिस्टम बैंक का ये एक अनसिस्टमेटिक दौर था जिसका फायदा हर्षद मेहता ने जमकर उठाया। बाजार के हर दिन उठती तेजी ने मेहता को पैसों का ऐसा नशा चढ़ा दिया कि फिर वो बैंकों से फेक रसीद बनवाना शुरु करने लगा। अब हर्षद इन जाली रसीद से पैसा उठाता औऱ उन पैसों को शेयर बाजार में लगा देता जिसका प्रोफिट मिलने पर वो बैंको को वापस कर देता।

1990 के दशक में शेयर बाजार लगातार ऊंचाईयों में चढ़ रहा था औऱ इसके साथ ही हर्षद मेहता का जलवा भी बढ़ता जा रहा था। मेहता की ये बादशाहत बहुत लोगों की ऑखों में चुभने लगी थी। एक दिन ऐसा आया कि शेयर बाजार धड़ाम से नीचें गिर गया और अपने साथ ले गया मेहता की किस्मत। उसके बाद तो मेहता ऐसे नीचे गिरा कि वो बैंको का पैसा लौटा नहीं पाया और ‘हर्षद मेहता कांड’ के नाम से उसका ये घोटाला पूरी दुनिया के सामने आ गया।

इसके बाद हर्षद पर 72 क्रिमिनल चार्ज के साथ तमाम सिविल केस फाइल किये गए इसके बाद तो मेहता की जिंदगी में आरोपों की लाइन लग गयी। जिसने उस वक्त देश के प्रधानमंत्री रहे पी.वी नरसिम्हा राव तक को नहीं छोड़ा और उनपर हर्षद को इस कांड से बचाने के लिए 1 करोड़ रुपये की घूस लेने तक का आऱोप लगा दिया। ये बात हर्षद ने सबके सामने आपने मशहूर वकील रहे राम जेठ मलानी के साथ एक कांफ्रेंस में स्वीकार भी की। खैर कोई सबूत ना मिलने पर कांग्रेस ने इन आरोपों को दरकिनार कर दिया। और मेहता को जेल भेज दिया। कुछ समय जेल में रहने के बाद मेहता जब बाहर आया तो  उसने अपने बिजनेस को फिर से शुरु किया। और उसके बिजनेस ने रफ्तार भी पकड़ ली थी लेकिन किस्मत का मारा हर्षद 2001 में फिर जेल चला गया। जहां 31 दिसंबर को हार्ट अटैक आने से उसकी मौत हो गयी।

बता दें कि इस घोटालें में सबसे बड़ा झटका स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को 600 करोड़ रुपये के फ्रॉड में लगा।

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