सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की अपील को खारिज करते हुए भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार द्वारा किसी निजी संपत्ति पर प्रतिकूल कब्जा करके अधिकार अपने आधीन लिया जाए, तो यह नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। साथ ही इससे सरकार के प्रति जनता का विश्वास भी कमजोर होगा।
मामला हरियाणा के बहादुरगढ़ में भूमि से जुड़ा था, जो दिल्ली और बहादुरगढ़ को जोड़ने वाले नेशनल हाइवे के पास स्थित है। हरियाणा सरकार के PWD ने इस भूमि पर अपना दावा किया था। वहीं हाई कोर्ट में जब यह केस गया तो हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रतिकूल कब्जा के आधार पर निजी संपत्ति पर सरकार का दावा कानूनी रूप से सही नहीं हो सकता। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराते हुए हाई कोर्ट के फैंसले को जारी रखा।
हरियाणा सरकार और PWD ने दावा किया था कि उन्होंने इस भूमि पर दशकों तक प्रतिकूल कब्जा बनाए रखा था और इसी आधार पर वे इसे अपने अधिकार में मानते थे। साथ ही कहना था कि लंबे समय तक भूमि पर कब्जा बनाए रखने के कारण उन्हें ‘प्रतिकूल कब्जे’ के आधार पर मालिकाना हक मिल चुका है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि ऐसा करना गलत होगा।
“राज्य सरकार अपने नागरिकों के खिलाफ इस प्रकार के दावे नहीं कर सकती।” अदालत ने यह भी कहा कि भूमि का मालिकाना हक दावा करने के लिए राज्य सरकार को उचित कानूनी आधार की जरूरत होती है, और यदि कोई नागरिक भूमि का मालिक है, तो उसे सरकारी दस्तावेजों से प्रमाणित किया जाना चाहिए। अदालत ने राजस्व रिकॉर्ड को प्रमाण के रूप में स्वीकार किया, जिसमें दिखाया गया था कि भूमि का अधिकार निजी पक्ष के पास था।
हाई कोर्ट के बाद मामला उच्च न्यायालय में पहुंचने पर भी निजी पक्ष ने दावा किया था कि भूमि पर उसका अधिकार है, जबकि हरियाणा सरकार ने भूमि पर अपना कब्जा बताने के लिए ‘प्रतिकूल कब्जे’ का सहारा लिया। उच्च न्यायालय ने इस दावे को अस्वीकार करते हुए निजी पक्ष के पक्ष में फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी संस्थाओं को भूमि अधिग्रहण के मामलों में नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। यदि किसी भूमि पर कोई व्यक्ति कानूनी रूप से मालिक है, तो सरकार को उस संपत्ति पर अधिकार लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। यह निर्णय न केवल भूमि अधिग्रहण के मामलों में सरकार की भूमिका को लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने में भी मददगार है।
This Post is written by Shreyasi Gupta