



फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर आज इंडस्ट्री में बड़ा नाम हैं। अलग ही अंदाज में डायलॉग बोलने की वजह से लोकप्रिय नाना पाटेकर भले ही आज शानदार जिंदगी जी रहे हैं, लेकिन एक दौर था, जब उनका पूरा परिवार सड़क पर आ गया था। नाना पाटेकर के पिता गजानंद पाटेकर टेक्सटाइल बिजनेस करते थे।
वह मुंबई में रहते थे और पूरा परिवार गांव में था। नाना पाटेकर बताते हैं कि बचपन में वह अपने पिता से मिलने के लिए हर साल मुंबई जाया करते थे। कुछ सालों के बाद जब नाना पाटेकर 7वीं क्लास में थे तो पिता ने परिवार को मुंबई ही बुला लिया था।
नाना पाटेकर और पूरा परिवार मुंबई आ गया था। हालांकि मुंबई आने के बाद परिवार की मुसीबतें कम होने की बजाय बढ़ गईं। नाना पाटेकर बताते हैं कि उनके पिता के साथ पार्टनरशिप में बिजनेस करने वाले शख्स ने धोखाधड़ी की थी और इसके चलते पूरा परिवार सड़क पर आ गया था।
ऐसी स्थिति में नाना पाटेकर को कमाना पड़ा था। परिवार को गुजारे के लिए पैसों की जरूरत थी और नाना पाटेकर आर्टिस्ट थे। ऐसे में उन्होंने पोस्टर तैयार करने का काम किया। दिन में वह पढ़ाई करते थे और शाम को पोस्टर तैयार करते थे। फिल्मों से पहली बार नाता नाना पाटेकर का नाता तभी जुड़ा था।
दरअसल नाना पाटेकर को एक पारसी शख्स ने सिनेमा पोस्टर छापने के काम में लगा लिया था। नाना पाटेकर को तब हर महीने 35 रुपये मिलते थे और हर रोज एक वक्त का खाना मिलता था। नाना पाटेकर कहते हैं कि उस वक्त मैं दिन के वक्त स्कूल में रहता था और शाम को पोस्टर छापने के काम में लग जाता था।
वह बहुत बुरा वक्त था। नाना पाटेकर कहते हैं कि उन दिनों मिले गरीबी के दर्द को वह आज भी नहीं भुले हैं। वह कहते हैं कि ऐसा वक्त बेहद कठिन होता है, जब लोग आपसे बात नहीं करना चाहते। यहां तक कि आपको देखना भी नहीं चाहते। वह कहते हैं कि इस दौर में भी मैंने अपना मानसिक संतुलन नहीं खोया था।