रिपोर्ट: गीतांजली लोहनी
नई दिल्ली: ट्यूबरक्युलोसिस यानि टीबी, ये एक ऐसी बिमारी है जिसने कभी दुनियाभर में तबाही मचा दी थी। पिछले साल से कोरोना महामारी ने जैसे दुनिया को हिला के रख दिखा था वैसे ही एक वक्त था जब टीबी की बिमारी ने दुनिया को तहस नहस कर दिया था। अब भले ही ये बिमारी कम सुनने को मिलती हो लेकिन आज भी कई पिछड़े और गरीब देशों में टीबी की बिमारी ने हाहाकार मचाया हुआ है। 24 मार्च के दिन दुनियाभर में विश्व ट्यूबरक्युलोसिस डे के तौर पर मनाया जाता है। 24 मार्च को टीबी दिवस मनाने की ख़ास वजह है। दरअसल, 24 मार्च को ही जर्मन फिजिशियन रोबर्ट कॉच ने इसके बैक्टेरिया Mycobacterium Tuberculosis का पता लगाया था। इसके लिए उन्हें नोबल पुरस्कार भी दिया गया।
WHO की एक रिपोर्ट के माध्यम से साल 2019 में 1 करोड़ लोग टीबी के शिकार हुए थे। इनमें 14 लाख की जान इस बीमारी ने ले ली थी। और आपको बता दें कि साल 2022 तक दुनिया को टीबी से मुक्त करवाने का लक्ष्य रखा गया है। ये बिमारी इतनी खतरनाक है कि धीरे-धीरे मरीजों को निगल रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि फोटोग्राफर जेम्स नाच्त्वेय ने इस खतरनाक बीमारी को अपने कैमरे में कैद किया और एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए दुनिया के सामने पेशे किया।
टीबी के शिकार बेटे को गोद में पकड़ी मां की ऐसी इमोशनल तस्वीर किसी की भी रूह कंपा देगी। टीबी मरीजों के शरीर को एकदम चूस लेता है।
भाई-बहन दोनों ही टीबी का शिकार हो गए। अस्पताल में इलाज के दौरान दोनों इस तरह तस्वीर में कैद हुए।
मरीज को हड्डी के ढांचे में बदल देती है टीबी की बीमारी। अस्पताल में टीबी का मरीज कुछ इस हाल में पड़ा है।
टीबी में मरीज की हालत बेहद खौफनाक हो जाती है। कुछ सालों पहले इसके शिकार हुए मरीज की जान बचने की कोई संभावना नहीं रहती थी। वर्ल्ड हेल्थ ओर्गनइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, हर दिन आज भी दुनिया में 4 हजार मौतें टीबी से होती है।
साल 2021 में टीबी दिवस का थीम रखा गया है- The clock is ticking यानी समय खत्म होने को है। दरअसल,2022 तक विश्व को टीबी से मुक्त करने लक्ष्य रखा गया है।
पहले अगर कोई टीबी का शिकार हो जाता था तो उसका अंजाम सीधे मौत ही था। वैक्सीन बनने के बाद इसका प्रकोप कम हुआ।
ये बीमारी सबसे पहले फेंफड़ों को अपने चपेट में लेती है। हालांकि, कई अन्य अंगों पर भी इसका असर देखने को मिलता है।