नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने और हिंसा के बाद किसान आंदोलन पर सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जाता है कि ट्रैक्टर परेड की अगुवाई वरिष्ठ नेताओं के हाथ से निकलकर ऐसे युवाओं के हाथ में आ गई थी, जिनका मकसद पहले से ही हिंसा फैलाना था। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पुलिस पहले से ही अनहोनी की आशंका जता चुकी थी। किसान नेताओं ने ट्रैक्टर रैली गणतंत्र दिवस पर नहीं करने की अपील की गई थी, लेकिन किसान नेता नहीं माने। हिंसा के बाद किसान नेता पूरे मामले से खुद को पीछे हटा रहे हैं।
परेड से पहले नेताओं ने कहा था
अब नेताओं ने पल्ला झाड़ा
राकेश टिकैत ने हिंसा के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है। इनका आरोप है कि पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर किसानों को भटकाया। इन्होंने हिंसा के लिए दीप सिद्धू को दोषी ठहराया। किसानों के संयुक्त मोर्चा ने हिंसा के लिए खुद को जिम्मेदार नहीं माना। इसका कहना है कि कुछ लोगों के बहकावे से ऐसा हुआ। योगेंद्र यादव अब सफाई दे रहे हैं कि लाल किले पर हुई हिंसा के लिए उनके संगठन का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने भी दीप सिद्धू को दोषी माना।
26 जनवरी को गर्व और शर्म: अब क्या है आगे का रास्ता? #FarmersProtest https://t.co/O0cUwXkVd9
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) January 27, 2021