रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: लगभग दो महीने के कड़े आंदोलन के बाद गणतंत्र दिवस के दिन आंदोनकारी किसानों ने हिंसा का रुख अख्तियार कर लिया। किसानो ने हिंसा को इतना जबरदस्त कर दिया कि दिल्ली पुलिस के 26 से ज्यादा जवान घायल हो गय़े। जबकि आंदोलनकारी किसानों ने उग्रवादी रुख अपनाते हुए देश के धरोहर लाल किला पर तिरंगे के समानांतर अपना झंडा लगा दिया।
शुक्रवार को देश की आत्मा संसद में राष्ट्रपति रामनाथ नोविंद ने इस मुद्दे को उठाया है। राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण के दौरान कहा कि 26 जनवरी के पवित्र दिन गणतंत्र दिवस का अपमान दुर्भाग्यपूर्ण है। इतना ही नहीं राष्ट्रपति ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन देश का अपमान दुखद है।
तीनों कृषि कानूनों पर राष्ट्रपति ने कहा कि देश के कई हिस्सों मे किसानों ने अपना समर्थन दिय़ा है। जबकि दूसरी ओर उन्होने कहा कि सरकार कृषि कानूनों को लेकर भ्रम दूर करने की कोशिश कर रही है।
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा कि तीनों कृषि कानूनों से छोटे किसानों को भी फायदा मिलेगा। 80 फीसदी से ज्यादा देश में छोटे किसान है। आपको बतादें कि राष्ट्रपति ने आगे कहा कि कई दलों ने कृषि सुधारों को समर्थन दिया है। आगे उन्होने कहा कि छोटे किसान जोखिम से बचे। खाद्यान भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा।
एमएसपी पर उन्होने कहा कि किसानों को MSP से ढ़ेढ़ दुना ज्यादा भाव मिला। वहीं सिंचाई को लेकर कहा कि सिंचाई के संसाधनो में जोरदार इजाफा हुआ है। आगे उन्होनो कहा कि सरकार अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान करती है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आगे कहा कि सरकार ने बीते 6 वर्षों में बीज से लेकर बाज़ार तक हर व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन का प्रयास किया है। जिससो भारतीय कृषि आधुनिक भी बने और कृषि का विस्तार भी हो।