उत्तराखंड स्थित पवित्र बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद करने की प्रक्रिया आज से आरंभ हो रही है। आगामी 17 नवंबर की रात 9:07 बजे धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इससे पूर्व यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट भी बंद किए जा चुके हैं। कपाट बंद करने की परंपरा पंच पूजा के साथ प्रारंभ होगी, जिसमें मंदिर को 10 क्विंटल फूलों से सजाया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार सुबह बदरीनाथ धाम पहुंचकर भगवान बदरीविशाल के दर्शन किए और पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने वहां आए तीर्थयात्रियों से मुलाकात कर यात्रा संबंधी फीडबैक भी लिया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट मास्टर प्लान के अंतर्गत चल रहे विभिन्न विकास कार्यों का निरीक्षण किया और बदरी पुरी के तीर्थ पुरोहितों एवं स्थानीय दुकानदारों से संवाद किया।
पंच पूजा के साथ कपाट बंद करने की प्रक्रिया का शुभारंभ
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया पंच पूजा के साथ आज से शुरू हो रही है। परंपरा के अनुसार, आज गणेश मंदिर के कपाट बंद किए जाएंगे। दूसरे दिन 14 नवंबर को आदिकेदारेश्वर मंदिर और आदि शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद होंगे।
15 नवंबर को वेद ऋचाओं का वाचन भी बंद कर दिया जाएगा। 16 नवंबर को माता लक्ष्मी को भोग चढ़ाकर रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री वेश में माता लक्ष्मी को भगवान बदरीविशाल के साथ गर्भगृह में विराजने का निमंत्रण देंगे। अंतिम दिन, 17 नवंबर को माता लक्ष्मी के गर्भगृह में विराजने के साथ ही बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
भगवान बदरीविशाल की डोली पांडुकेश्वर और जोशीमठ को होगी प्रस्थान
18 नवंबर को भगवान बदरीविशाल के प्रतिनिधि उद्धवजी, कुबेरजी और गरुड़जी की डोली आदि शंकराचार्य की गद्दी के साथ शीतकालीन गद्दीस्थल पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर एवं जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि इस वर्ष अब तक 13.80 लाख से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं।