वालोंग युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ ही सेना द्वारा नया स्मारक का उद्घाटन भी किया गया। जो मातृभूमि की रक्षा में प्राणों की आहुति देने वाले जवानों के सम्मान के लिए बनाया गया है। इसके अलावा एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसमें मिज़ो और मेयोर जनजातियों के पारंपरिक डांस फ्रॉम भी प्रस्तुत किए गए।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने कहा कि “यह दिन हमारे वीर सैनिकों और अरुणाचल के लोगों के साहस और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।” उन्होंने आगे कहा कि 62वें वालोंग दिवस का आयोजन भारतीय सेना की बहादुरी की याद के साथ-साथ नए युग में सुरक्षा और क्षेत्रीय विकास की दिशा में हमारे प्रयासों का उत्सव है।
वालोंग में आयोजित विशेष समारोह में युद्ध के नायकों और उनके परिवारों का अभिनंदन किया गया। इस उत्सव में 6 कुमाऊं, 4 सिख, 3/3 गोरखा राइफल्स, 4 डोगरा और 2/8 गोरखा राइफल्स जैसे रेजीमेंटों के वीर जवानों को याद किया गया, जिन्होंने इस युद्ध में अदम्य साहस का प्रदर्शन किया था। इस दौरान कुछ वीर सैनिकों को महावीर चक्र और वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
1962 के युद्ध में भारतीय सैनिकों ने न केवल अपनी धरती बाहरी दुश्मनों से बचाया, बल्कि विपरीत परिस्थितियों में भी अडिग रहकर दुश्मनों का मुकाबला किया। इस युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों के बलिदान की स्मृति में भारतीय सेना ने एक विशेष युद्ध वर्णन का आयोजन किया।
विकास की दिशा में प्रयास
इस अवसर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया गया। सेना ने पिछले एक महीने से विविध कार्यक्रमों, जैसे बाइक रैली, साइकिल रैली, और स्वच्छता अभियानों के माध्यम से स्थानीय लोगों के साथ जुड़कर राष्ट्रीय एकता के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाई है।
वहीं भारतीय सेना का यह कदम केवल सिर्फ़ 1962 के वीरों को श्रद्धांजलि नहीं है बल्कि देश के सीमावर्ती इलाकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भी प्रतीक है।
This Post is written by Shreyasi Gupta