व्यायाम की आयुर्वेद में बड़ी तारीफ़ की गयी है। कहा जाता है कि व्यायाम करने वालो को कोई भी बीमारी इतनी आसानी से नहीं जकड़ सकती है।
इसे करने से तीनो दोष यानी वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है लेकिन व्यायाम करने के भी कुछ नियम है।
आचार्य जी कहते है, हमेशा व्यायाम करने से पहले मालिश करनी चाहिए। तेज शरीर में अच्छी तरफ प्रवेश कर जाए ताकि शरीर पुष्ट हो सके।
व्यायाम से कार्य शक्ति बढ़ती है, शरीर बलवान हो जाता है, पाचन शक्ति अच्छी हो जाती है। मनुष्य भारी से भारी कार्य कर सकता है।
उचित मात्रा में रोज़ व्यायाम उचित है क्यूंकि वो शक्ति को बढ़ा देता है। आचार्य जी कहते है कि जबरदस्ती व्यायाम नहीं करना चाहिए।
जितनी आपकी सहन शक्ति है उतना ही व्यायाम करें। अगर आप अधिक व्यायाम करते है तो आपको खूब प्यास लगेगी और दमे की समस्या हो सकती है।
आपको बुखार आ सकता है। मांसपेशियां टूट सकती है। इसलिए व्यायाम करते समय सावधानी रखे। आहार का भी संतुलन बनाना चाहिए।