{ श्री अचल सागर जी महाराज की कलम से }
इस संसार में सिर्फ मानव जाति ऐसी है जो तत्वहीन नहीं है। संसार में हर जीव की बनावट अलग है, उसका रंग रूप अलग है। पशु अलग है तो जीव अलग है।
अगर पक्षी अलग है तो जानवर अलग है। संसार में जो समुद्र है उन जीवों की बनावट और रहन सहन अलग है।
कहते है, भगवान ने जो दुनिया बनायीं है उसका 10 फीसदी भी हम लोग उसे जान नहीं पाए है लेकिन जो भी हमे दिखाई देता है उसमे एक बात तो सत्य है की विवेक मनुष्य के पास है।
मर्यादा, भाषा, ज्ञान, विवेक, बौद्धिकता ये सब ऐसी बाते है जो हमे यह बताती है की हम कितने भाग्यशाली है जो हमे मनुष्य जन्म प्राप्त हुआ है।
एक जानवर एक पक्षी मंदिर नहीं जा सकता ! वो वेद नहीं पढ़ सकता। वो ज्ञान की बाते नहीं कर सकता।
हमारे यहां तो ऋषि मुनियों के कारण लोगों का जीवन बदल जाता है। लेकिन और प्राणियों का जीवन बदलने के लिए क्या कोई है ?
वाल्मीकि डाकू थे। उन्होंने साधुओं की मंडली को ही हत्या की धमकी देकर लूटना चाहा। बाद में राम नाम का मन्त्र लेकर खुद ऋषि हो गए और रामायण रच दी।
सिर्फ हम मनुष्यों का यह सौभाग्य मिला है और किसी को नहीं। हम अपने विवेक से चाहे तो बहुत कुछ अच्छा कर सकते है।