संसद के जारी शीतकालीन सत्र में सरकार ने लिखित सवाल के जवाब में कहा मुवाअज़ा देने का सवाल ही नहीं
मुमताज़ आलम रिज़वी
नई दिल्ली : तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ एक साल से धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों को उस वक़्त एक बड़ा झटका लगा जब केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा में कहा कि उसके पास कोई आंकड़ा नहीं है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान देश भर में कितने किसानों की मौत हुई है, इस लिए मुवाअज़ा देने का सवाल ही नहीं उठता। ख़्याल रहे कि संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। इस दौरान विपक्ष की ओर से केंद्र सरकार से सवाल किया गया कि क्या सरकार धरना प्रदर्शन के दौरान जिन किसानों की मौत हो गई है उनके परिजनों को मुवाअज़ा देगी ? इसके जवाब में केंद्र सरकार ने कहा है कि उनके पास ऐसा कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।
लोकसभा में सरकार से सवाल किया गया था कि मृतक किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता दिए जाने का कोई प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है या नहीं? इस पर केंद्र ने लोकसभा में जवाब दिया है कि कृषि मंत्रालय के पास किसानों की मौत का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। इसलिए उनको मुआवजा दिए जाने या फिर इस संबंध में कोई सवाल ही नहीं उठता है।
विपक्ष और संयुक्त किसान मोर्चा का दावा है कि तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ जारी धरना प्रदर्शन में पिछले एक साल में क़रीब 700 किसानों की मौत हो गई है। अब ये सब इन किसानों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। यहां तक कि कांग्रेस नेताओं की ओर से इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव भेजकर चर्चा करने को भी कहा गया था। याद रहे की सरकार ने तीन कृषि क़ानून वापस ले लिए हैं लेकिन अब भी किसान अपना धरना सिंघु बॉर्डर , टिकरी बॉर्डर और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर जारी किये हुए हैं। विपक्ष भी संसद में हंगामा कर रहे हैं और सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।