प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ में आज सुनवाई हुई। सरकार की ओर से दलील देते हुए साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ खास जगहों पर कुछ वाकये हुए जिससे प्रवासी मजदूरों को परेशानी उठानी पड़ी है। हम इस बात के शुक्रगुजार है कि आपने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया।
जनरल मेहता ने कहा कि सरकार ने मजदूरों के लिए 3700 ट्रेनों का संचालन किया। उनके लिए खाने-पीने का बजट बनाकर राशि भी मु हैया कराई गई। इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार ने तो कोशिश की है लेकिन राज्य सरकारों के जरिए जरूरतमंद मजदूरोें तक चीजें सुचारू रूप से नहीं पहुंच पा रही है।
अदालत ने पूछा कि मुख्य समस्या श्रमिकों के आने-जाने और भोजन की है उनकों खाना कौन दे रहा है? जवाब में मेहता ने कहा कि सरकार दे रही है। कोर्ट ने मेहता से कहा कि यह सुनिश्चित करें कि श्रमिक जब तक अपने गांव न पहुंच जाए उनकों भोजन-पानी और अन्य सुविधाएं मिलती रहनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने नोटिस किया है कि प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन, परिवहन और उन्हें खाना-पानी देने की प्रक्रिया में बहुत कमी रही। कोर्ट ने कहा कि जो भी मजदूर पैदल घर जा रहे है उन्हें तुरंत खाना और रहने की जगह उपलब्ध कराई जाए। इसी के साथ कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 5 जून को करेंगा।