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ISRO GSAT-N2: एलन मस्क की कप्तानी स्पेसएक्स ने इसरो का जीसैट-एन2 लॉन्च,जानिए क्या है जीसैट-एन2?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एलन मस्क के स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग करके, अपने उपग्रह जीसैट एन-2 जिसे जीसैट-20 के नाम से भी जाना जाता है को लॉन्च किया जा चुका है।

By: Abhinav Tiwari 
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ISRO GSAT-N2: एलन मस्क की कप्तानी स्पेसएक्स ने इसरो का जीसैट-एन2 लॉन्च,जानिए क्या है जीसैट-एन2?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एलन मस्क के स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग करके, अपने उपग्रह जीसैट एन-2 जिसे जीसैट-20 के नाम से भी जाना जाता है को लॉन्च किया जा चुका है। जो भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह ISRO और एलन मस्क की निजी अंतरिक्ष कंपनी SpaceX के बीच पहला औद्योगिक सहयोग होगा, क्योंकि इसरो पहली बार भारी-भरकम उपग्रह मिशन के लिए फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग करेगा।

लॉन्चिंग कब

बता दें कि उपग्रह लॉन्च मंगलवार की रात को निर्धारित है, जिसकी उल्टी गिनती सोमवार को रात 11:46 बजे (IST) से शुरू हो चुकी है। मंगलवार को रात 12:01 बजे (IST) लॉन्च होने की उम्मीद है, वहीं यदि किसी भी प्रकार की समस्या होती है तो ऐसे में दोपहर 3:03 बजे बैकअप विंडो निर्धारित है। लॉन्च अमेरिका के फ्लोरिडा में केप कैनावेरल से होगा, जिसमें स्पेसएक्स के समर्पित लॉन्च पैड 40 का उपयोग किया जाएगा, जिसे यूनाइटेड स्टेट्स स्पेस फोर्स से लिया गया है।

इस लॉन्च को आप सीधा स्पेसएक्स के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर देख सकते हैं जो की एक ऐतिहासिक अवसर होगा।

GSAT-N2 के लिए स्पेसएक्स क्यों?

ISRO आमतौर पर उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए अपने स्वयं के PSLV पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल का उपयोग करता है, लेकिन इसकी पेलोड सीमाओं लगभग 4 टन के कारण, इसरो ने जीसैट एन-2 जैसे भारी पेलोड को लॉन्च करने के लिए स्पेसएक्स के फाल्कन 9 का सहारा लिया है। फाल्कन 9 जो कि करीब 22,800 किलोग्राम तक के वेटेज को पृथ्वी की निचली कक्षा में और 8,300 किलोग्राम तक को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में ले जा सकता है।

SpaceX के साथ यह सहयोग ऐसे समय में हुआ है जब इसरो के अपने रॉकेट 4 टन से अधिक पेलोड को लॉन्च करने में सक्षम नहीं हैं। इससे पहले, इसरो ऐसे मिशनों के लिए यूरोपीय संघ एरियनस्पेस पर निर्भर था।

2002 में एलन मस्क के स्थापित SpaceX ने अंतरिक्ष उद्योग में तेज़ी से प्रमुखता हासिल की है। 2008 में अंतरिक्ष में लिक्विड प्रोपल्ड रॉकेट भेजने वाली पहली निजी कंपनी बन गई, और तब से, लगातार रॉकेट लॉन्च के अपने वादे को पूरा किया है। अपने 395 लॉन्च में 99 फीसद की सफलता के साथ, फाल्कन 9 रॉकेट ने खुद को उद्योग में सबसे विश्वसनीय विकल्पों में से एक बनाया है।

इन-फ़्लाइट कनेक्टिविटी और विनियामक परिवर्तन

वर्तमान में, भारत के नियम, देश के हवाई क्षेत्र में उड़ानों के दौरान इंटरनेट एक्सेस की अनुमति नहीं देते हैं। पर अब, विमानन नियमों में हाल ही में हुए बदलावों के कारण अब 3,000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर वाई-फाई की अनुमति है, साथी ही विमान में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ले जाने की अनुमति हो। इससे इन-फ़्लाइट इंटरनेट सेवाओं में वृद्धि होगी जिसमें GSAT N2 महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, और इससे लंबी दूरी की उड़ानों में यात्रियों लाभ मिलेगा।

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक नया अध्याय

बेंगलुरु में यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक डॉ. एम. शंकरन ने जीसैट एन-2 मिशन के बारे बोलते हुए कहा कि, एक बार चालू होने के बाद, यह उपग्रह भारत के इंटरनेट लैंडस्केप में क्रांति लाएगा, खासकर छोटे क्षेत्रों में इंटरनेट उपभोक्ताओं को इससे मदद मिलेगी। साथ ही उड़ानों के दौरान इंटरनेट कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा, जो हवाई यात्रियों की लंबे समय से मांग रही है।

इस सहयोग से, इसरो और स्पेसएक्स न केवल भारत की उपग्रह संचार क्षमताओं को बढ़ा रहे हैं, बल्कि देश के तकनीकी बुनियादी ढांचे को भी आगे बढ़ाने और अपडेट करने में सहयोग कर रहे हैं।

This post written by Shreyasi Gupta

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