रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: वैसे तो यह मौसम बदलने का वक्त है, गर्मी से बरसात का मौसम होने वाला है। देश के कई हिस्सों में तो मानसून ने दस्तक दे दी है। मौसम बदलने के इस वक्त में सियासत भी करवट लेती नजर आ रही है। हाल ही में शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्दव ठाकरे राष्ट्रीय राजधानी दिल्सी पधारे थे। वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात किए थे। मुलाकात के बाद से ही शिवसेना के सुर बदला-बदला सा लग रहा है। महाराष्ट्र के सियासत में जो सरकार बनाने में जो उथल-पुथल हुई थी। उसके बाद से ही शिवसेना हमेशा प्रधानमंत्री के साथ-साथ BJP पर को लेकर लगातार जहर उगल रही थी।
आपको बता दें कि उद्धव ठाकरें के मुलाकात के बाद शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत गुरुवार को पीएम मोदी को देश का टॉप लीडर बता रहे हैं, शिवसेना में अचानक आये इस बदलाव से लोग भी हैरान हैं। कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा और शिवसेना के बीच अंदर ही अंदर कोई खिचड़ी तो नहीं पक रही है, हालाँकि उद्धव ने पीएम मोदी से मुलाकात को निजी बताया था।
संजय राऊत ने गुरूवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “देश और भाजपा के सर्वोच्च नेता हैं, उन्होंने कहा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मराठा कोटा पर उनकी मदद लेने के लिए दिल्ली में प्रधान मंत्री से मुलाकात की। मालूम हो कि सीएम उद्धव और पीएम मोदी की मुलाक़ात के बाद शिवसेना के सहयोगी दलों में उहापोह की स्थिति बन गई।
आपको बता दें कि शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से कहा, ठाकरे ने कहा: “हम राजनीतिक रूप से एक साथ नहीं हो सकते … इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा रिश्ता टूट गया है। खैर संजय राउत द्वारा पीएम मोदी की तारीफ़ किये जाना किसे के गले नहीं उत्तर रहा है, क्योंकि गठबंधन टूटने के बाद संजय राउत आलोचना करने वालों में सबसे ज्यादा मुखर थे।
राउत ने कहा, मैं मीडिया में आई खबरों पर नहीं जाता। इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। भाजपा ने पिछले सात वर्षों में नरेंद्र मोदी की सफलता का श्रेय दिया है और वर्तमान में वह हैं भी श्रेय के काबिल, देश के शीर्ष नेता हैं।
पीएम मोदी से मुलाक़ात करने के बाद महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने मराठी में कहा था ‘प्रधानमंत्री से मेरे निजी संबंध है और यह बात कोई छुपाने की नहीं है उनसे मेरी व्यक्तिगत मुलाकात हुई है मैं नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था, राजनीतिक रूप से हम साथ नहीं पर हमारा रिश्ता है।