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Sheopur(MP): पार्वती और चंबल नदी से हो रहा अवैध रेत खनन, घड़ियालों पर संकट गहराया

श्योपुर जिले की पार्वती और चंबल नदियों से बड़े पैमाने पर अवैध रेत खनन हो रहा है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि घड़ियालों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।

By: RNI Hindi Desk 
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Sheopur(MP): पार्वती और चंबल नदी से हो रहा अवैध रेत खनन, घड़ियालों पर संकट गहराया

मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में पार्वती और चंबल नदी से बड़े पैमाने पर अवैध रेत खनन जारी है। प्रतिदिन सुबह से ही जलालपुरा घाट पर दर्जनों ट्रैक्टर लाइन में लगकर रेत निकालते हैं। यह गतिविधियां न सिर्फ पर्यावरण के लिए घातक हैं, बल्कि सरकारी राजस्व की भी भारी हानि हो रही है।

रोजाना 100 से ज्यादा ट्रैक्टर कर रहे रेत तस्करी

खातोली-श्योपुर रोड और विजयपुर-टेंटरा मार्ग पर रेत से लदे सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉली बेरोकटोक चल रहे हैं। मानपुर थाना क्षेत्र के कीरो का सांड गांव में चंबल नदी से भी रेत निकाली जा रही है, जिसे गांव में डंप कर अन्य स्थानों पर भेजा जा रहा है।

विजयपुर क्षेत्र भी चपेट में, रेत माफिया सक्रिय

विजयपुर से टेंटरा के बीच के घाट से भी अवैध खनन जारी है। यहां से निकाली गई रेत को बैराड़, शिवपुरी और अन्य जगहों तक पहुंचाया जा रहा है। रेत माफिया ने अपने निगरानी तंत्र भी सक्रिय कर दिए हैं, जो प्रशासन की गतिविधियों पर नजर रखते हैं।

चंबल नेशनल पार्क का हिस्सा, घड़ियालों को गंभीर खतरा

पार्वती नदी का एक हिस्सा चंबल नेशनल पार्क के अंतर्गत आता है और यह क्षेत्र घड़ियालों का प्राकृतिक आवास है। यहां रेत खनन पूर्णतः प्रतिबंधित है, लेकिन फिर भी खनन बदस्तूर जारी है। इससे घड़ियालों के प्रजनन और जीवन चक्र पर गंभीर असर पड़ रहा है।

प्रशासन की कार्रवाई नाकाफी, माफिया बेखौफ

प्रशासन द्वारा समय-समय पर की गई कार्रवाइयों के बावजूद रेत माफिया बेखौफ हैं। कई बार कार्रवाई के बाद भी रेत खनन फिर से शुरू हो जाता है। यह न केवल कानून व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है, बल्कि स्थानीय वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी बड़ा खतरा है।

सरकारी राजस्व को हो रही भारी क्षति

अवैध खनन से जहां एक ओर प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। वैध खनन प्रक्रिया से मिलने वाले टैक्स और रॉयल्टी का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।

जरूरी है सख्त कार्रवाई और सतत निगरानी

श्योपुर जिले में चल रहा यह अवैध रेत खनन न सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों को समाप्त कर रहा है बल्कि संरक्षित वन्यजीवों के अस्तित्व को भी खतरे में डाल रहा है। शासन और प्रशासन को चाहिए कि वे स्थायी समाधान, GPS ट्रैकिंग, और जन भागीदारी आधारित निगरानी व्यवस्था के जरिए इस पर नियंत्रण पाएं।

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