राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर नई दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में भव्य शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने इस मौके पर आरएसएस की शताब्दी को समर्पित डाक टिकट और स्मारक सिक्के का विमोचन किया। समारोह में संघ के कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
पीएम मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि हमें सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि हम संघ जैसे संगठन का शताब्दी वर्ष देख रहे हैं। आरएसएस ने पिछले सौ वर्षों में नागरिकों में सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह समारोह न केवल संघ की ऐतिहासिक उपलब्धियों का सम्मान करता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक यात्रा में इसके योगदान और राष्ट्रीय एकता के संदेश को भी प्रदर्शित करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आरएसएस ने देश की आजादी में भी योगदान दिया और स्वयंसेवकों ने अंग्रेजों के अत्याचार झेले। संघ के लिए देश सर्वोच्च प्राथमिकता रहा है और इसके कार्यों में कभी भेदभाव नहीं दिखा। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि संघ के खिलाफ कई षड्यंत्र हुए और अनेक आरोप लगाए गए, फिर भी यह संगठन विशाल वटवृक्ष की तरह अडिग रहा।
पिछली सदी में आरएसएस ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभाई है। बाढ़, भूकंप और चक्रवात जैसी आपदाओं में स्वयंसेवकों ने राहत और पुनर्वास कार्यों में सक्रिय योगदान दिया। शताब्दी समारोह के जरिए संघ ने अपनी सेवा, समर्पण और राष्ट्र निर्माण की प्रतिबद्धता को फिर एक बार रेखांकित किया।