केंद्र सरकार ने श्वेत श्रेणी के तहत आने वाले गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों के लिए बड़े राहत का ऐलान केंद्र सरकार ने किया है। नए नियमों के तहत, अब इन उद्योगों को स्थापित करने और चलाने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी की आवश्यकता नहीं होगी। इस फैसले से ऐसे उद्योगों को बहुत लाभ मिलेगा जिनसे प्रदूषण न के बराबर उत्सर्जित होता है।
आपको स्पष्ट कर दें कि श्वेत श्रेणी में वे उद्योग आते हैं जिनसे प्रदूषण न के बराबर होता है। इनमें एयर कूलर, कंडीशनर असेंबली, साइकिल असेंबली, बेबी कैरिज, बेकार कागजों की बैलिंग और बिना अकार्बनिक रसायनों के जैव उर्वरक व जैव-कीटनाशक निर्माण शामिल हैं। इस श्रेणी के उद्योगों को पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर सब से कम प्रभाव डालने वाले माना जाता है।
अब तक इन उद्योगों को अपने संचालन के लिए ‘स्थापना के लिए सहमति’ (Consent to Establish – CTE) और ‘संचालन के लिए सहमति’ (Consent to Operate – CTO) जैसे परमिट राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेने पड़ते थे। लेकिन अब पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी नई अधिसूचना में बताया गया है कि प्रदूषण सूचकांक में 20 तक के स्कोर वाले उद्योगों को कोई भी परमिट की जरूरत नहीं होगी, बशर्ते उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिल चुकी हो। हालांकि, संचालन शुरू करने से पहले उन्हें राज्य प्रदूषण बोर्ड या प्रदूषण नियंत्रण समितियों को सूचित करना होगा।
12 नवंबर को जारी इस अधिसूचना के पीछे सरकार का उद्देश्य गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों को प्रोत्साहित करना है ताकि इन उद्योगों का विकास तेजी से हो सके। यह कदम ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार का यह कदम केवल पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में ही मदद नहीं करेगा, बल्कि उद्योगों को विकसित होने का अवसर भी देगा। इससे छोटे पैमाने के उद्योगों को बाधाओं से मुक्ति मिलेगी और रोजगार के नए नए अवसर की संभावनाएं बढ़ेंगी।
इस कदम से साफ है कि सरकार का उद्देश्य उद्योगों के विकास को सरल बनाना है, जिससे न केवल व्यवसायियों को, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी लाभ हो सके ताकि देश तरक्की की राह पर आगे अग्रसर हो सके।
This Post is written by Shreyasi Gupta