प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कौशल दीक्षांत समारोह 2025 के दौरान देशभर के आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) टॉपर्स को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि कुछ वर्ष पहले केंद्र सरकार ने आईटीआई छात्रों के लिए दीक्षांत समारोह आयोजित करने की परंपरा शुरू की थी और आज हम उस गौरवशाली परंपरा के एक और अध्याय के साक्षी हैं। प्रधानमंत्री ने युवाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह समारोह भारत में कौशल विकास को दी जाने वाली प्राथमिकता का प्रतीक है।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने 62,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न युवा-केंद्रित योजनाओं की शुरुआत की। उन्होंने ‘पीएम-सेतु’ परियोजना का शुभारंभ किया, जिसके तहत 60,000 करोड़ रुपये की लागत से देशभर में एक हजार सरकारी आईटीआई का उन्नयन किया जाएगा। इसके साथ ही बिहार को विशेष रूप से लाभ पहुंचाने के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब तक हम श्रम को प्रतिष्ठा नहीं देंगे और हुनरमंद लोगों का सार्वजनिक जीवन में सम्मान नहीं करेंगे, तब तक वे खुद को कमतर महसूस करेंगे। भारत ज्ञान और कौशल का देश है और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।” उन्होंने बिहार के युवाओं की विशेष सराहना करते हुए कहा कि बिहार देश के सबसे युवा राज्यों में से एक है और यदि वहां के युवाओं का सामर्थ्य बढ़ता है तो देश की ताकत भी बढ़ेगी।
मोदी ने बिहार में संशोधित ‘मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता’ योजना की शुरुआत की, जिसके तहत दो वर्षों तक 5 लाख स्नातकों को हर माह 1,000 रुपये का भत्ता मिलेगा। उन्होंने जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया और बिहार के चार विश्वविद्यालयों में नई शैक्षणिक और अनुसंधान सुविधाओं की आधारशिला रखी। इसके अलावा बिहटा में एनआईटी पटना के नए परिसर का भी उद्घाटन किया गया।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि आज देशभर के आईटीआई टॉपर्स को सम्मानित किया जा रहा है। बिहार में युवा आयोग और जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना से युवाओं को नौकरी, छात्रवृत्ति और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।”
केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा, “11 साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कौशल विकास के महत्व को समझते हुए एक नए विभाग की स्थापना की थी। आज उसी सोच और दृष्टिकोण का परिणाम है कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है।”
इस कार्यक्रम ने न केवल आईटीआई छात्रों के आत्मविश्वास को नई ऊंचाइयां दीं, बल्कि देश में कौशल और रोजगार सृजन के क्षेत्र में ऐतिहासिक परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित किया।