विश्व प्रसिद्ध ओडिशा के पुरी स्थित भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर में कार्यरत 404 कर्मी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। संक्रमित होने वालों मेें 351 सेवादार और 53 कर्मचारी हैं। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए श्री जगन्नाथ मंदिर समेत अन्य धार्मिक स्थलों को अभी नहीं खोले जा सकते। कोरोना महामारी के चलते ये धार्मिक स्थल मार्च महीने से ही श्रद्धालुओं के लिए बंद हैं।
राज्य सरकार ने एक पीआईएल पर ओडिशा हाई कोर्ट की ओर से जारी नोटिस का जवाब दिया। सरकार का कहना है कि ‘पुरी में जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह में पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे अगर भक्तों के लिए मंदिर को खोला गया तो कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने की संभावना है।’
जैसे-जैसे मंदिर के सेवादार कोरोना से संक्रमित होते जा रहे हैं, वैसे ही भगवान के विभिन्न अनुष्ठानों की करने वालों की कमी होती जा रही है। एक पुजारी ने कहा, “कई महासर, दैतापति और पूजपांडस संक्रमित हुए हैं। बावजूद इसके मंदिर के सभी अनुष्ठान नियमीत रूप से जारी हैं। अगर मंदिर को लोगों के लिए खोल दिया जाएगा तो हालात और अधिक बिगड़ सकते हैं।”
12वीं शताब्दी में निर्मित श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के प्रशासक अजय जेना ने मंगलवार को बताया कि बड़ी संख्या में सेवादारों की गैर मौजूदगी के बावजूद सभी परंपराओं का पालन किया जा रहा है। पॉजिटिव होने की पुष्टि के बाद ज्यादातर सेवादार होम आइसोलेशन पर हैं।
अधिकारियों ने कहा कि वेंटिलेटर से लैस एक समर्पित एंबुलेंस सेवादारों के लिए प्रदान की जाएगी, जबकि दो टीमें यह सुनिश्चित करेंगी कि जो सेवक संक्रमित हुए हैं वे प्रभावी रूप से होम क्वारंटीन के दिशानिर्देशों का पालन करें। पुरी जिला प्रशासन मंदिर के आसपास के क्षेत्र में हर किसी के लिए मास्क अनिवार्य करके कोरोना के दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करेगा।
भगवान बालभद्र , देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की पूजा के लिए कम से कम 13-13 पुजारियों के समूह की जरूरत होती है। इसलिए 39 पुजारियों के साथ ही अन्य सेवादारों की जरूरत होती है। बड़ी संख्या में सेवादारों के संक्रमित होने के कारण मंदिर प्रशासन दैनिक पूजा के लिए कनिष्ठ सेवादारों की सेवा लेने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।