प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आयोजित ग्लोबल स्पेस एक्सप्लोरेशन कॉन्फ्रेंस में भारत की अंतरिक्ष यात्रा को लेकर बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि 2040 तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर कदम रखेगा, और आने वाले हफ्तों में भारत का एस्ट्रोनॉट ISRO-NASA के संयुक्त मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करेगा। पीएम मोदी ने इस उपलब्धि को भारत के लिए गर्व का विषय बताया।
पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज में सहायता की, जबकि चंद्रयान-2 द्वारा भेजी गई हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरों ने वैज्ञानिक शोध को नया आधार दिया। हालिया मिशन चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर भारत की समझ को और मजबूत किया। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने अब तक एक ही लॉन्च में 100 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजने जैसी ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “अंतरिक्ष सिर्फ एक लक्ष्य नहीं, बल्कि यह जिज्ञासा, साहस और सामूहिक प्रगति का प्रतीक है।” उन्होंने याद दिलाया कि भारत की स्पेस जर्नी की शुरुआत 1963 में एक छोटे रॉकेट से हुई थी और अब वह चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बन चुका है। पीएम ने यह भी कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं, बल्कि सबको साथ लेकर ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए है।
प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत 2035 तक अपना खुद का स्पेस स्टेशन स्थापित करेगा, जो वैश्विक अनुसंधान और सहयोग का नया केंद्र बनेगा। वहीं गगनयान मिशन, भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम, देश की तकनीकी ताकत और आकांक्षाओं का प्रतीक है। पीएम मोदी ने कहा कि 2040 तक भारत का एस्ट्रोनॉट चंद्रमा पर उतरेगा और मंगल तथा शुक्र भी भारत के रडार पर हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि भारत ने दक्षिण एशियाई देशों के लिए सैटेलाइट्स लॉन्च किए, और G-20 अध्यक्षता के दौरान सैटेलाइट मिशन की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि भारत ग्लोबल साउथ की अवधारणा को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहा है।