कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व रक्षा मंत्री ने एके एंटनी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान मोदी सरकार पर हमलावर हुए। उन्होंने गलवान घाटी व पैंगोंग झील इलाके से सैनिकों को पीछे ले जाना और बर्फ जोन बनाना के फैसले को भारत के अधिकारों का ‘आत्मसमर्पण’ बताया है।
प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने मोदी सरकार के फैसले से असहमति ज़ाहिर करते हुए कहा कि भारत सीमा पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और भारत दो सामने युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट को देखें, जब भारत दो सामने युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है, जब चीनी सीमा पर हर जगह हैं; सभी को रक्षा बजट में पर्याप्त वृद्धि की उम्मीद थी, ऐसे में रक्षा बजट में मामूली और अपर्याप्त इजाफा देश के साथ ‘धोखा’ है।
पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को ऐसे समय में उचित प्राथमिकता नहीं दे रही है जब चीन आक्रामक हो रहा है और पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी है। उन्होंने कहा कि सैनिकों का पीछे हटना अच्छा है क्योंकि इससे तनाव कम होगा लेकिन इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहा कि एक बात स्पष्ट है, कि संपूर्ण भारत-चीन सीमा को 24 * 7 ध्यान देने की आवश्यकता है। हमारे सशस्त्र बल वहाँ अपने जीवन और स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं; लेकिन उन्हें राष्ट्रीय सरकार से समर्थन की आवश्यकता है।
एंटनी ने कहा कि गलवान घाटी एवं पैंगोंग झील से सैनिकों को पीछे हटाना आत्मसमर्पण करने जैसा है। उन्होंने कहा कि इन इलाकों को भारत नियंत्रित करना था। 1962 में भी गलवान घाटी के भारतीय क्षेत्र होने पर विवाद नहीं था। सैनिकों को पीछे लाना और बफर जोन बनाना अपनी जमीन का आत्मसमर्पण करना है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि पहली बार, भारत को दो युद्ध जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है- एक तो पाक और अब चीन मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख, अरुणाचल और सिक्किम से भारत-चीन सीमा पर बुनियादी ढाँचा और सैन्य जमावड़ा बनाकर और अधिक जुझारू बन रहा है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले वर्ष के संशोधित बजट की तुलना में, इस वर्ष रक्षा बजट में 1.48% की वृद्धि हुई।